कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से पैदा हुई मुश्किलों को देखते हुए सरकार ने आयकर और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुपालन से जुड़ी तारीखें आगे बढ़ा दी हैं और देर से भुगतान पर लगने वाला शुल्क भी खत्म कर दिया है। वित्त मंत्रालय से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) समेत विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने ये तारीखें तीन महीने आगे खिसकाने का अनुरोध किया था। देश भर में लगातार बढ़ते कोविड संक्रमण को देखते हुए यह समयसीमा और भी बढ़ानी पड़ सकती है।
सरकार द्वारा घोषित राहत कदमों के तहत वर्ष 2019-20 के लिए विलंबित या संशोधित आयकर रिटर्न, जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-4 जमा करने की तारीख बढ़ाई गई है तथा किसी भी तरह की अपील, करों के भुगतान, ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाने और देरी से भुगतान पर लगने वाला शुल्क हटाया गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कोविड महामारी से पैदा हुई मुश्किलों के बीच उद्योगों को राहत पहुंचाने वाले कदमों की जानकारी दी है। उसने कहा, ‘कोविड महामारी से पैदा हुई मुश्किलों और करदाताओं, कर सलाहकारों एवं अन्य हितधारकों से मिले अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ समयसीमाओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।’
सरकार ने समरी रिटर्न जमा करने में इस्तेमाल होने वाला जीएसटीआर-3बी फॉर्म भरने की तारीख बढ़ा दी है। मार्च एवं अप्रैल महीनों के लिए 5 करोड़ रुपये के कारोबार वाले करदाता 30 दिन और उससे अधिक कारोबार वाले करदाता 15 दिन विलंब से समरी रिटर्न जमा कर सकते हैं। क्षतिपूर्ति डीलरों की तरफ से वार्षिक रिटर्न जमा करने की तारीख भी 30 अप्रैल से बढ़ाकर 31 मई कर दी गई है। जीएसटीआर-1 यानी बिक्री रिटर्न जमा करने की आखिरी तारीख भी एक महीने बढ़ाकर 26 मई कर दी गई है। दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा के कुछ जिलों समेत देश के एक बड़े हिस्से में लॉकडाउन की बंदिशें लागू हो चुकी हैं। कर मामलों के जानकारों का कहना है कि इन पाबंदियों के बीच अनुपालन अवधि नहीं बढ़ाई जाती तो सबसे ज्यादा मार छोटे एवं मझोले उद्योगों पर पड़ती।
