कई पार्टी के नेताओं ने लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी से गुजारिश की कि वह शुक्रवार को शिवरात्रि के उपलक्ष्य में छुट्टी की घोषणा कर दे। इस प्रस्ताव के लिए सदस्यों की ओर से यह तर्क दिया गया कि सभी सांसद अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में जाकर इस पर्व को मना सकते हैं क्योंकि सप्ताहांत का पूरा वक्त उनके पास होगा। शुरुआत में उन्होंने ऐसा कोई कदम उठाने का मन नहीं बनाया। लेकिन बाद में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में उनका कहना था : मेरा नाम सोमनाथ है, अपने चुनाव क्षेत्र में शिवरात्रि मनाने के बजाय आप मेरे सिर पर जल चढ़ा सकते हैं।
सरकारी विभागों की क्षमता
सेवा आधारित संगठन में क्षमता के स्तर को मापना बेहद मुश्किल है। सरकारी मंत्रालयों के संदर्भ में यह बात और भी मुश्किल हो जाती है क्योंकि इस मंत्रालय का सीधे तौर पर लोगों से खास संपर्क व्यवहार नहीं होता है। औद्योगिक संगठन एसोचैम ने इसे दूर करने का प्रबंध कर लिया। एसोचैम ने एक विज्ञप्ति जारी की जिसके मुताबिक 1990 के दशक के उदारीकरण दौर की शुरुआत से ही सरकारी कर्मचारियों के क्षमता स्तर में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इस क्षमता स्तर में कैसे इजाफा हुआ, इसका आंकड़ा भी बेहद दिलचस्प है। लगभग 58 प्रतिशत कर्मचारी अपनी क्षमता स्तर में 35-40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकते थे जबकि बाकी बचे 42 प्रतिशत लोग अपनी काम करने की क्षमता में केवल 12-27 प्रतिशत का सुधार ला सकते थे। यह बात 770 सार्वजनिक इकाइयों और सरकारी विभागों के उच्च और मध्यमवर्ग के कार्यकारी प्रबंधकों के विचारों की यह बानगी थी। यह बात स्पष्ट हो गयी की यह केवल अनुभव बोध पर आधारित सर्वेक्षण था न कि यह किसी खास विश्लेषण का हिस्सा था।
