देश के अधिकांश हिस्से में कोविड के मामले में कमी आने के बीच सरकार ने मंगलवार को राज्यों के लिए एक त्रिआयामी रणनीति अपनाने की सिफारिश की। सरकार ने कहा कि राज्यों को संक्रमण की दर साप्ताहिक आधार पर 5 प्रतिशत से कम करना चाहिए साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 70 फीसदी असुरक्षित वर्ग को टीके लगा दिए जाएं जिनमें बुजुर्ग लोग और 45 साल अधिक उम्र के वैसे लोग शामिल हैं जिन्हें अन्य बीमारियां भी हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने तीन आयामों वाली रणनीति पर जोर देते हुए यह भी कहा कि राज्यों को बड़े पैमाने पर कोविड के अनुरूप उचित व्यवहार के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरुकता लाने की कोशिश करनी चाहिए। सरकार की नजर उन लोगों पर भी है जिन्हें अनजाने में गलती से एकअलग टीके की दूसरी खुराक दे दी गई थी।
इस वक्त देश के कुल जिलों में से करीब आधे यानी 350 जिलों में संक्रमण की दर 5 फीसदी से भी कम बताई गई है। देश में अब भी 239 जिले ऐसे हैं जहां 10 फीसदी से अधिक संक्रमण के मामले हैं। भार्गव ने कहा, ‘कोविड की जांच और रोकथाम वाले क्षेत्र इन 6 से 8 हफ्तों में कारगर साबित हुए हैं। यह कोई स्थायी समाधान नहीं है। हमें लॉकडाउन में ढील देने के लिए एक प्रणाली तैयार करनी होगी और यह धीरे-धीरे किया जाना चाहिए।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 295 जिलों में पिछले एक हफ्ते से रोजाना 100 से अधिक संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं जबकि 28 अप्रैल से 4 मई तक 531 जिलों में इतने मामले देखे जा रहे थे। भार्गव ने यह भी कहा कि टीकाकरण का दायरा बढ़ाया जा रहा है और लॉकडाउन में ढील देने की प्रक्रिया भी असुरक्षित तबके के टीकाकरण के अनुरूप ही की जाएगी। भार्गव ने कहा, ‘भारत उन पांच देशों में से एक है जो टीकों का उत्पादन कर रहा हैए कल्पना कीजिए कि अगर हमने टीकों का निर्माण नहीं कर रहे होते तो हम होंगे।’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मध्य जुलाई या अगस्त की शुरुआत तक भारत में एक दिन में एक करोड़ तक टीके लगाने के लिए पर्याप्त आपूर्ति की जाएगी और टीके की कमी तभी होगी जब एक महीने में सभी को टीका लगाने का लक्ष्य रखा जाएगा। भार्गव ने कहा, ‘हमें धैर्य रखना होगा। हमारी आबादी बड़ी है। भारत में अब तक जितनी खुराक दी गई है अमेरिका में भी इतनी ही खुराक दी गई है। हमारी आबादी अमेरिका के मुकाबले चार गुना अधिक है।’
बच्चों में कोविड
बच्चों में कोविड के मामले बढऩे पर सरकार सतर्क हुई है और वी के पॉल का कहना है कि देश में बच्चों के इलाज से जुड़े बुनियादी ढांचे का ऑडिट किया जाएगा ताकि यह समझा जा सके की इसे दुरुस्त करने के लिए और क्या आवश्यक है और सबसे खराब हालात की स्थिति के लिए सुविधाओं का दायरा बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्थिति बदल सकती है और बच्चों पर कोविड का प्रभाव बढ़ सकता है अगर वायरस में कोई बदलाव आता है या फिर महामारी की गतिशीलता में कोई परिवर्तन होता है। पॉल ने कहा, ‘हम आगे सभी तरह के हालात के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह नए सिरे से तैयारियों पर फिर से विचार करेगा। हम इस क्षेत्र के नए विज्ञान और जानकारियों पर गौर करेंगे।’ उन्होंने कहा कि कोविड से प्रभावित लगभग 2.3 प्रतिशत बच्चों को बाल विशेषज्ञ के जरिये इलाज की आवश्यकता होती है और सरकार जरूरत से दोगुनी तैयारी करेगी।
कोविशील्ड के एक टीके की कोई योजना नहीं
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि सरकार कोविशील्ड की खुराक में किसी तरह के बदलाव या इसका एक ही टीका दिए जाने पर कोई विचार नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि दूसरी खुराक के वक्त टीका बदलने का भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन किया जा रहा है और यह अब भी एक अनसुलझा वैज्ञानिक सवाल है। पॉल ने देश में कोविड से जुड़े हालात पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दो खुराक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हमें इस मामले में भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए। कृपया नियमों का पालन करिये और एक ही टीके की दोनों खुराक लें।’
उन्होंने कहा कि टीका बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता है और लोगों को इस बात को गांठ बांध लेना चाहिए। पॉल ने कहा, ‘एक ही व्यक्ति को अलग-अलग कंपनी के टीके लगाने का प्रोटोकॉल नहीं है। अगर इसमें कोई बदलाव होता है तो इस मंच से अवगत कराया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यह प्रयोग उपयोगी साबित हो सकता है लेकिन किसी गंभीर प्रतिक्रिया से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार ने उम्मीद जताई कि देश की पूरी आबादी को दिसंबर तक टीके लग जाएंगे।