सरकार को ऋण सहायता चाहने वाले एमएसएमई के वास्ते रेटिंग उपलब्ध कराने के लिए रेटिंग एजेंसियों को प्रोत्साहन देना चाहिए। वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है। समिति द्वारा दी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 में संशोधन का प्रस्ताव दिए जाने से ऋण सहायता के जरिये कारोबार की मात्रा में विस्तार होने की उम्मीद है और प्राप्तियों के लिए किसी क्रेडिट रेटिंग तंत्र का होना जरूरी हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन एमएसएमई के लिए रेटिंग प्रदान करने के वास्ते मौजूदा क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को प्रोत्साहित करते हुए इसे संपन्न किया जा सकता है जो सक्रिय रूप से अपनी प्राप्तियों से ऋण लेना चाहती हैं।
फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 को सितंबर 2020 में संसद में पेश किया गया था और अवलोकन के लिए इसे वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के पास भेज दिया गया था। फैक्टरिंग एक ऐसा लेन-देन होता है जिसमें कोई एमएसएमई तत्काल धन प्राप्त करने के लिए किसी बैंक या एनबीएफसी को अपनी प्राप्तियों को बेचता है। इस ऋण सहायता से विक्रेता को शीघ्र भुगतान में मदद मिलती है और नकदी की दिक्कत दूर होती है। एमएसएमई प्रतिस्पर्धी ब्याज दर पर तुरंत पैसा पाने के लिए बैंक या एनबीएफसी को कोई बिल बेचते हैं। यह बैंक या एनबीएफसी माल के खरीदार से भुगतान एकत्र करते हैं और ब्याज अर्जित करके लाभ प्राप्त करते हैं।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई लगातार वित्त पोषण की समस्या से जूझ रहे हैं, विशेष रूप से औपचारिक ऋण मार्गों तक पहुंच के मामले में जिसमें प्राप्तियों के जरिये ऋण सहायता भी शामिल है। एमएसएमई को विभिन्न खरीदारों को आपूर्ति करने के लिए अपने बिलों का भुगतान प्राप्त करने में अकसर देर हो जाती है। इससे कार्यशील पूंजी अवरुद्ध हो जाती है एमएसएमई की उत्पादक गतिविधियों में बाधा आती है। सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन में इन दिक्कतों को हल करने पर ध्यान दिया गया है और प्राप्तियों के बदले ऋण सहायता देने वाला यह कारोबार शुरू करने के लिए एनबीएफसी की अधिक श्रेणियों को अनुमति देने पर विचार किया गया है।
