कोरोनावायरस महामारी के कमजोर पडऩे का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा है, जिससे घरेलू बाजार में दवा बिक्री प्रभावित हो रही है। मई में हृदय और मधुमेह जैसी लंबी बीमारियों की दवाओं की बिक्री में मामूली वृद्धि हुई है। इससे संकेत मिलता है कि दवा बाजार में मंदी और गहरा सकती है। बाजार अनुसंधान कंपनी एआईओसीडी एवैक्स का अनुमान है कि इस वित्त वर्ष में घरेलू दवा बाजार की वृद्धि शून्य रहेगी।
दवाएं आवश्यक उत्पाद हैं और इनकी बिक्री आर्थिक मंदी के दौरान भी मुश्किल से ही कभी प्रभावित होती है। लेकिन कोरोनावायरस फैलने से दवा की नई पर्चियां कम बन रही हैं, जिसका दवाओं की बिक्री पर भी असर पड़ रहा है। मई में पूरे दवा बाजार की वृद्धि 8.9 फीसदी कम हुई है।
मधुमेह और हृदय से संबंधित बीमारियों का इलाज लंबे समय तक चलता है, इसलिए मरीज इन बीमारियों की दवाएं नियमित रूप से लेते हैं और इनकी बिक्री मुश्किल से ही कभी घटती है। बाजार अनुसंधान कंपनी एआईओसीडी एवैक्स के आंकड़ों से पता चलता है कि हृदय की दवाओं की बिक्री में वृद्धि मई में 3.9 फीसदी रही, जो अप्रैल में 5.9 फीसदी थी। वहीं मधुमेह रोधी दवाओं की बिक्री मई में महज 1.1 फीसदी बढ़ी, जो अप्रैल में 6.4 फीसदी बढ़ी थी।
हालांकि इस समय श्वास के जरिये फैलने वाले वायरस का प्रकोप है। मगर श्वास से संबंधित दवाओं (इनहेलर एवं अन्य दवाएं) की बिक्री मई में 5.9 फीसदी घटी है, जिनमें अप्रैल में गिरावट महज 0.3 फीसदी रही थी। इस तरह इस श्रेणी में बिक्री लगातार घट रही है। एआईओसीडी एवैक्स के निदेशक अमीश मासुरेकर का मानना है कि कोविड-19 की वजह से लोग मास्क पहनने और सैनिटाइजर इस्तेमाल करने जैसे एहतियात बरत रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन के कारण लोग घरों से बाहर नहीं निकले। इससे अस्थमा के मामले कम हो गए। मौसमी कफ एवं सर्दी का संक्रमण भी काफी कम हो गया।’ अन्य दवाओं जैसे संक्रमण-रोधी (-20.8 फीसदी), गैस्ट्रोइनटेस्टिनल (12.8 फीसदी), विटामिन (-9.1 फीसदी) और दर्दनिवारक (-17.2 फीसदी) की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है।
एआईओडीसी एवैक्स ने कहा, ‘कोविड संकट ने भारतीय दवा बाजार को प्रभावित किया है। इस बाजार में मई में भी ऋणात्मक वृद्धि रही। हालांकि कुछ दवाओं की बिक्री में सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं मगर पूरे भारतीय दवा बाजार की वृद्धि मई में भी 8.9 फीसदी ऋणात्मक रही।’ उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय दवा बाजार की वृद्धि शून्य रहेगी। कीमतों में वृद्धि करीब पांच फीसदी पर स्थिर रहेगी। वहीं मात्रा एवं नई दवाएं शुरू होने की वृद्धि ऋणात्मक (-5) रहेगी, जिससे समग्र वृद्धि नीचे आएगी। मासुरेकर ने कहा कि हृदय और मधुमेह की दवाओं की मार्च और अप्रैल के पहले दो सप्ताह में हड़बड़ी में खरीदारी हुई थी। अब यह असर खत्म हो गया है, इसलिए बिक्री भी घटी है।