कोविड-19 ने कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी स्कैन (सीटी या कैट स्कैन) मशीन की मांग बढ़ा दी है। इसका इस्तेमाल सामान्य निमोनिया और कोविड-19 वाले निमोनिया में अंतर करने के लिए एक प्रारंभिक उपकरण के रूप में किया जा रहा है। लगभग हर अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की बीमारी के बढऩे और इससे होने वाले नुकसान की निगरानी के लिए भी कुछ स्तर पर सीटी स्कैन की जरूरत होती है, ऐसे में इसकी मांग बढ़ रही है। उदाहरण के तौर पर देखें तो एक मेडिकल तकनीक कंपनी सीमेंस हेल्थीनीयर्स ने पिछले 45 दिन में स्थानीय स्तर पर बनी 80-100 सीटी स्कैन मशीन बेची हैं। वह आमतौर पर एक साल में 250 मशीन बेचती है। पिछले 20 महीने में सीमेंस ने ऐसी करीब 500 मशीन बेची हैं।
इस रुझान के बारे में हेल्दीनीयर्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष (भारत) विवेक कनाडे ने कहा कि सीटी स्कैन की मांग तब शुरू हुई जब डॉक्टरों को अहसास हुआ कि कोविड-19 से होने वाला निमोनिया लगभग हर किसी में देखा जा रहा है, यहां तक कि हल्के लक्षण वाले मरीजों में भी निमोनिया के लक्षण दिखते हैं। सीटी स्कैन पारंपरिक निमोनिया के मुकाबले कोविड-19 वाले निमोनिया में अंतर करने में मदद करता है और बीमारी कैसे बढ़ रही है और फेफड़ों को कितना नुकसान हो रहा है इसका आकलन करने में मदद करता है। कनाडे कहते हैं, ‘हमने कुछ महीने पहले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित एल्गोरिद्म कुछ महीने पहले तैयार किया है जो स्कैन पर नजर रखेगा और यह निमोनिया का स्कोर तय करेगा जिससे यह निर्धारण होगा कि आप मरीज का प्रबंधन कैसे करेंगे। इसे निमोनिया इंडेक्स या निमोनिया की गंभीरता को मापने का एक तरीका कहा जाता है। हमने देश भर में अपने सभी प्रतिष्ठानों में इस प्लग-इन को जोड़ा है।’
फोर्टिस हेल्थकेयर के मेडिकल रणनीति एवं परिचालन के समूह प्रमुख डॉ विष्णु पाणिग्रही भी इसकी पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि जब कोई मरीज सांस लेने में परेशानी के कारण आपात विभाग में आता है तब सीटी स्कैन में ही साफ अंतर पता चल पाता है। पाणिग्रही का कहना है, ‘कोविड-19 सीटी स्कैन से कुछ अंदाजा मिल जाता है और आरटी-पीसीआर रिपोर्ट आने से पहले ही मरीजों को क्वारंटीन कर दिया जाता है जिससे स्वास्थ्यकर्मियों की काफी मेहनत बच जाती है।’ उन्होंने कहा कि फोर्टिस ने महामारी के दौरान सीटी स्कैन मशीन खरीदी हैं।’
उनका यह भी कहना है कि मरीज को किस तरह का इलाज मिलेगा, यह सीटी स्कोर से ही तय होता है। हालांकि डॉक्टर इसको लेकर बंटे हुए नजर आते हैं। मणिपाल हॉस्पिटल्स के इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख सत्यनारायण मैसूर ने कहा कि कोई भी हमेशा सीटी स्कोर पर निर्भर नहीं रह सकता। मैसूर कहते हैं, ‘हमने उच्च स्तर के सीटी स्कोर वाले मरीजों को भी अच्छा करते देखा है जबकि कम स्कोर वाले मरीज को ऑक्सीजन पर रखा गया है।’ उनका मानना है कि जहां सीटी स्कैन बीमारी की रफ्तार बढऩे और उससे होने वाले जोखिम को समझने के लिए एक बेहद उपयोगी उपकरण है वहीं यह आरटी-पीसीआर जांच का विकल्प नहीं है।
विप्रो जी हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) श्रवण सुब्रमण्यम कहते हैं कि सीटी स्कैन मशीनों की बढ़ी हुई मांग सिर्फ महामारी तक सीमित नहीं होगी। सुब्रमण्यन का मानना है कि महामारी के बाद उन रोगों के इलाज की मांग बढऩे की संभावना है जो महामारी की तरह नहीं फैलते। दरअसल कई ने डर के कारण अपना दूसरी बीमारियों का इलाज टाल दिया है। ऐसे में सीटी मशीनें काफी उपयोगी साबित होंगी।
इस प्रकार विप्रो जीई हेल्थकेयर ने भी बेंगलूरु की वेबसाइट पर मोबाइल एक्स-रे मशीनों के उत्पादन में 300-400 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। नए सीटी इंस्टॉलेशन में (16-स्लाइस सीटी का प्रबंधन मुख्य रूप से कोविड-19 के लिए किया जाता है) करीब 60-70 प्रतिशत नई साइट पर हैं जहां सीटी सेवाएं मौजूद नहीं हैं। वह कहते हैं, ‘इसके अलावा हम मझोले शहरों में भी मांग बढ़ते हुए देख रहे हैं।’ सीमेंस भी मांग में तेजी के लिए खुद को तैयार कर रही है। सीटी स्कैन मशीन सामान्य तौर पर 7-10 साल बाद ही बदली जाती है। कनाडे का कहना है कि कई छोटे नर्सिंग होम और अस्पताल भी अब सीटी मशीन खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें अहसास हो रहा है कि प्रत्येक कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में रहने के दौरान कम से कम एक बार सीटी स्कैन की जरूरत होगी।
सीमेंस को करीब 50 प्रतिशत पहली बार के खरीदार मिले हैं जबकि 30 प्रतिशत कोविड-19 की वजह से ये मशीन खरीद रहे हैं जबकि 15-20 फीसदी तादाद ऐसी है जो मशीन बदल रहे हैं। भारत में सीटी मशीन का सस्ता मॉडल बनता है, जिनकी लागत 1.2-1.8 करोड़ रुपये के बीच है और यहां महंगी मशीन का आयात किया जाता है। कनाडे का कहना है कि अगली दो तिमाहियों में मांग में 30-40 प्रतिशत की उछाल की उम्मीद की जा रही है। वह कहते हैं, ‘हमने इसके लिए तैयारी की है। हम जल्दी से आपूर्ति करने के लिए विक्रेताओं को जोड़ रहे हैं। आमतौर पर हम समुद्री मार्ग का इस्तेमाल करते हैं जिसमें चार सप्ताह लगते हैं। अब हम सीधे हवाई मार्ग से सामान ले जा रहे हैं।’ इससे चार हफ्ते के समय में कटौती होती है और सीमेंस ऑर्डर मिलने के 2-4 हफ्ते में ही ग्राहकों को अपनी सीटी मशीन देने की कोशिश कर रहा है और इस साल कम से कम 400 सीटी मशीन की डिलिवरी किए जाने की उम्मीद है। इसमें रिमोट इस्तेमाल का पहलू भी जोड़ा गया है ताकि तकनीशियन इमारत के दूसरे हिस्से में बैठ सकें, न कि मशीन का परिचालन करने के लिए सीटी स्कैन रूम के अंदर बैठें। इस तरीके से वे संक्रमण के संपर्क में कम होंगे।
क्यों फोर्टिस जैसे बड़े कॉरपोरेट अस्पताल भी सीटी मशीन खरीद रहे हैं जबकि उनके पास पहले से ही कई मशीन उपलब्ध हैं? इसका जवाब सरल है। एक सीटी स्कैन में 15 मिनट लगते हैं जबकि हर मरीज के बाद इसकी साफ.-सफाई में 45 मिनट का समय लगता है ऐसे में ज्यादा मरीजों के लिए मशीन जरूरी है।
कोविड मरीजों में दिखता सुधार!
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि देश में कोविड-19 का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 5.5 लाख से नीचे आ गई है जो अब तक संक्रमित हुए मरीजों का महज 6.55 प्रतिशत है जबकि 76 लाख से अधिक लोग ठीक हो चुके हैं। मंत्रालय ने कहा कि उपचाराधीन मरीजों की संख्या में कमी ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में तेजी से हुई वृद्धि से संभव हुआ।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि अब तक 76,03,121 मरीज ठीक हो चुके हैं जो उपचाराधीन मरीजों के मुकाबले 70,61,716 अधिक हैं। इसके साथ ही देश में कोरोनावायरस से मरीजों के ठीक होने की दर 91.96 प्रतिशत पर पहुंच गई है। मंत्रालय ने कहा कि रोजाना सामने आने वाले नए मामलों की संख्या भी 40 हजार से नीचे आ गई है और मंगलवार को 38,310 और लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई। मंत्रालय ने कहा कि रोजाना बड़ी संख्या में कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की वजह से मृत्यु दर में भी लगातार कमी आ रही है। भाषा