इस बात में कोई दो राय नहीं कि दिल्ली और मुंबई में सर्वाधिक संख्या में मोबाइल पोस्टपेड उपभोक्ता हैं, लेकिन आपको यह भी लग रहा है कि प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) के लिहाज से भी ये दूरसंचार कंपनियों के राजस्व में सबसे अधिक योगदान देते हैं तो आप को दोबारा सोचने की जरूरत है। दूरसंचार कंपनियां प्रति उपभोक्ता औसतन जितनी कमाई करती हैं उसे एआरपीयू कहा जाता है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020 की मार्च तिमाही में शीर्ष एआरपीयू देने वाले सर्किलों (दूरसंचार क्षेत्र) की फेहरिस्त में दिसंबर 2020 तिमाही के मुकाबले मुंबई और दिल्ली फिसल गए हैं। दूरसंचार कंपनियों कहना है कि एआरपीयू में गिरावट की मुख्य वजह प्रवासी मजूदरों का अपने घरों की ओर पलायन है।
एआरपीयू के मामले में मुंबई दिसंबर तिमाही में केरल, तमिलनाडु (चेन्नई शामिल) और आंध्र प्रदेश के बाद चौथे स्थान पर था, लेकिन मार्च तिमाही में यह कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद छठे स्थान पर आ गया है। हालत यह है कि मुंबई अब पंजाब के साथ खड़ा हो गया है, जो पिछली तिमाही में औसत एआरपीयू के मामले में काफी पीछे चल रहा था। इसकी वजह यह है कि मुंबई सर्किल में औसत एआरपीयू महज 4 प्रतिशत बढ़कर 99 रुपये तक पहुंचा है, जबकि पंजाब सर्किल ने इस मामले में दिसंबर तिमाही के मुकाबले 18 प्रतिशत की छलांग लगाई है और मार्च तिमाही में इसका 99 रुपये के साथ मुंबई की बराबर पर पहुंच गया।
दिसंबर तिमाही तक दिल्ली सर्किल एआरपीयू के मामले में शीर्ष 10 सर्किलों में शुमार था, लेकिन यह अपना ओहदा नहीं बचा पाया। दिसंबर में यह राजस्थान के साथ दसवें स्थान पर था। मार्च तिमाही में यह फिसलकर 12वें स्थान पर आ गया और एआरपीयू के लिहाज से यह मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी पीछे आ गया है। दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के अपने गांवों की तरफ लौटने से इन दोनों महानगरों में एआरपीयू में अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई है। एक अग्रणी दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वीएलआर डेटा पर आधारित हमारे अनुमान के अनुसार मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले 20 लाख से अधिक प्रवासी मार्च के अंत तक दिल्ली से अपने गांवों एवं शहरों की तरफ कूच कर गए थे। दूरसंचार कंपनियों ने उन्हें रीचार्ज कराने के लिए कुछ अतिरिक्त समय भी दिया था, लेकिन उनमें ज्यादातर ने ऐसा नहीं किया, जिससे एआरपीयू में गिरावट दर्ज की गई। मुंबई में भी यही हुआ।’
एआरपीयू के लिहाज से चोटी पर बैठा केरल ने सबको चौंका दिया। वित्त वर्ष 2020 दिसंबर तिमाही में इसका एआरपीयू 98 रुपये था, लेकिन मार्च तिमाही में यह 30 प्रतिशत की छलांग के साथ 127 रुपये पर पहुंच गया। अधिकारी ने कहा कि फरवरी अंत और मार्च में बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में काम करने वाले लोग वापस केरल आए। इससे वहां मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ा और एआरपीयू में भी इजाफा हो गया।
पूरे देश में दिसंबर एवं मार्च तिमाहियों के बीच एआरपीयू में करीब 15 प्रतिशत इजाफा हुआ। दूरसंचार कंपनियों ने दिसंबर में अपनी शुल्क दरें 20 प्रतिशत तक बढ़ा दी थीं। हालांकि शुल्क बढ़ाने से मोबाइल सेवा के इस्तेमाल पर असर नहीं हुआ और एआरपीयू बढ़ता गया। इस तरह, दिसंबर तिमाही में ऐसा एक भी सर्किल नहीं था, जिसमें एआरपीयू 100 रुपये या इससे अधिक था।
हालांकि मार्च में एआरपीयू बढ़ा और इस समय पांच ऐसे सर्किल हैं, जिसमें केरल के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु शामिल हैं। अब देश में 22 में 10 सर्किलों में एआरपीयू मार्च में देश के औसत से अधिक रहा। हालांकि 100 रुपये से अधिक एआरपीयू वाले सर्किलों में मुंबई, दिल्ली और कोलकाता का नाम नहीं है।
