बाजार मूल्य और सर्किल दरों के बीच के अंतर को 20 फीसदी बढ़ाने के वित्त मंत्री के निर्णय से बाजार मूल्य से अधिक सर्किल दरों वाले शहरों में बिक्री बढऩे की उम्मीद जताई जा रही है।
भले ही मुंबई और दिल्ली में बड़े डेवलपरों कहा कहना है कि वित्त मंत्री की घोषणा से इन दो बड़े शहरों में बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इसकी सीमा 2 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। लेकिन मुंबई के उप नगरीय क्षेत्रों जो पश्चिमी छोर पर अंधेरी से शुरू होकर चेम्बूर और हार्बर लाइन से आगे तक फैला है और ठाणे के आसपास के इलाको में इसका असर पड़ सकता है जहां कीमत 2 करोड़ रुपये के भीतर है।
नोएडा और गुरुग्राम जैसे एनसीआर के कुछ हिस्सों में भी इससे फायदा होने की उम्मीद है।
आईआईएफएल में प्रबंध पार्टनर और वरिष्ठ फंड प्रबंधक बालाजी राघवन ने कहा, ‘इस घोषणा से डेवलपरों को छूट देने के लिए जरूरी गुंजाइश मिलेगी।’
राघवन ने कहा, ‘देश भर में सर्किल दरें बाजार मूल्यों के स्तर पर हैं। बड़े शहरों में सर्किल दरें बाजार मूल्य से कम हैं। मुंबई में ज्यादातर जगहों पर सर्किल दरें बाजार भाव से अधिक है।’
उन्होंने कहा कि एनसीआर के इलाकों और सूरत जैसे शहरों में नकद का चलन अभी जारी है। यहां पर इस फैसले का अधिक असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सौदा को बाजार मूल्य से कम पर पंजीकृत कराया जाता है।
मुंबई स्थित सनटेक रियल्टी के चेयरमैन कमल खेतान ने कहा, ‘जहां कहीं सर्किल दरें अधिक हैं वहां पर इसका असर नजर आएगा। लोग इसके कारण से संपत्ति नहीं खरीद पा रहे थे। अब उन स्टॉक की बिक्री होगी।’
एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट्स के मुताबिक चालू वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के अंत में एनसीआर में कुल अनबिके इन्वेंट्री 1.73 लाख इकाई की है जिनमें से करीब 94 फीसदी की कीमत 2 करोड़ रुपये से कम है। मुंबई महानगरीय क्षेत्र में चालू वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के अंत में अनबिके मकान 2.08 लाख हैं जिनमें से 84 फीसदी की कीमत 2 करोड़ रुपये से कम है।
गुरुवार को प्रोत्साहनों की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘इस फैसले से बहुत सारे इन्वेंट्री की बिक्री होगी और खरीदार सर्किल दरों और समझौता मूल्य के बीच अंतर पर कम कर का भुगतान करेंगे।’
सीतारमण ने कहा कि इस निर्णय से मध्य वर्ग को फायदा होगा जो ऐसे समय पर खरीदना चाहते हैं जब आपूर्ति अधिक है और इन्वेंट्री बढ़ रहे हैं।
एक ओर जहां डेवलपरों ने वित्त मंत्री की घोषणा का स्वागत किया है वहीं उन्हें आवास की मांग बढ़ाने के लिए सरकार से अतिरिक्त उपाय किए जाने की उम्मीद है।
राजीव तलवार ने कहा, ‘सरकार को आवास ऋण पर चुकाए जाने वाले समूचे ब्याज को छोड़ देना चाहिए ताकि लोग घर खरीदने के प्रति आकर्षित हों।’ ब्याज भुगतान पर मौजूदा रोक को जारी रखा जाना चाहिए।
टाटा रियल्टी ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी संजय दत्त ने कहा, ‘यह उल्लेख करना महत्त्वपूर्ण है कि सर्किल दर में 20 फीसदी की छूट देने का मतलब यह भी है कि राज्य सरकारों को भी सर्किल दरों में 20 फीसदी की कमी करनी चाहिए या इसी अनुपात में स्टाम्प शुल्क में कमी करनी चाहिए ताकि लघु अवधि की छूट दी जा सके।’
नए बदलाव के रियल एस्टेट के लिए क्या है मायने
रियल एस्टेट क्षेत्र में कीमत कम होने से आवासीय इकाइयों के दाम सर्किल दर से कम हो गए हैं। सर्किल दर वह न्यूनतम कीमत है जिस पर रियल एस्टेट संपत्ति का हस्तांतरण के बाद पंजीकरण कराना होता है। इसकी दरें स्थानीय सरकार निर्धारित करती हैं। जब कोई सौदा सर्किल दर से कम कीमत पर होता है तो उस पर खरीदार और विक्रेता को कर देना होता है।
मौजूदा कर नियमों के मुताबिक यदि परिसंपत्ति का बाजार मूल्य सर्किल दर से कम है तब उस अंतर की रकम पर खरीदार को अन्य आमद के तौर पर कर लिया जाता है। डेवलपर को सर्किल दर का इस्तेमाल अपने मुनाफे के आकलन के लिए करना होता है।
वित्त मंत्री ने क्या लाभ दिया है?
पहले, सर्किल दर से 10 फीसदी तक कम के सौदे पर कर नहीं लगता था। अब यह सीमा बढ़ाकर 20 फीसदी कर दी गई है।
इसका क्या मतलब है?
डेवलपरों को सर्किल दर से कम कीमत पर अपनी इन्वेंट्री को बेचने में मदद मिलेगी। खरीदार को भी ऐसे सौदे पर कर नहीं देना पड़ेगा।
क्या सीमाएं हैं?
यह राहत केवल प्राथमिक बिक्री (डेवलपर द्वारा खरीदार को) पर है और द्वितीयक बिक्री पर इसका फायदा नहीं मिलेगा। इकाई की कीमत 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसे में महानगरों के प्रमुख स्थानों पर स्थित आवासीय इकाइयों को इसका फायदा नहीं होगा। यह सुविधा केवल 30 जून, 2021 तक के लिए है। (प्रस्तुति : संजय कुमार सिंह)