अक्षय ऊर्जा परियोजना डेवलपरों को बड़ी राहत देते हुए केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने इस क्षेत्र के लिए पारेषण शुल्क में छूट की अवधि 2025 तक के लिए बढ़ा दी है। छूट में अब बैटरी भंडारण, पंप हाइड्रो परियोजनाओं के साथ सौर व पवन परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है।
एक सार्वजनिक आदेश में बिजली मंत्रालय ने कहा है, ‘सौर व पवन ऊर्जा परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में पारेषण (आईएसटीएस) शुल्क की माफी का विस्तार 30 जून, 2025 तक कर दिया गया है।’
आदेश में आगे कहा गया है कि शुल्क में छूट की अनुमति पंप हाइड्रो और बैटरी भंडारण परियोजनाओं के लिे होगी अगर इन इकाइयों से उत्पादित 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन सौर और पवन स्रोतों से होता है। आईएसडीएस शुल्क धीरे धीरे पंप हाइड्रो और बैटरी भंडारण परियोजनाओं पर लगाया जाएगा। यह शुल्क में कमी और कर्ज के भुगतान से जुड़ा हुआ होगा।
मंत्रालय ने अक्षय ऊर्जा के लिए आईएसटीएस शुल्क भी 2023 तक के लिए माफ कर दिया है, जिनका कारोबार बिजली एक्सचेंज में होता है। यह छूट ग्रीन टर्म अहेड माकेट और ग्रीन डे अहेड मार्केट के तहत स्वच्छ ऊर्जा के कारोबार के लिए होगी।
आईएसटीएल की माफी पहली बार केंद्र सरकार द्वारा 2019 में पेश की गई थी, जिससे कि सौर व पवन परियोजाओं का शुल्क नीचे लाया जा सके और इसमें निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाई जा सके। यह माफी इस जून में खत्म होने वाली थी। इस साल की शुरुआत में इसे 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन हाल के आदेश में अंतिम तिथि और दो साल के लिए बढ़ा दी गई है।
उद्योग से जुड़े कुछ संगठनों ने महामारी को देखते हुए सरकार से आईएसटीएस शुल्क में छूट की तिथि बढ़ाए जाने का अनुरोध किया था। कोविड संबंधी लॉकडाउन और आपूर्ति शृंखला बाधित होने के कारण कुछ सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं और उनसे जुड़े पारेषण नेटवर्क के काम में देरी हो रही है।