प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देते हुए रक्षा मंत्रालय ने 101 रक्षा साजो-सामान एवं उपकरणों के आयात पर कुछ वर्षों के लिए चरणबद्घ तरीके से पाबंदी लगाने की आज घोषणा की। सेना को अब अपनी जरूरत के लिए इन उपकरणों की खरीद भारतीय रक्षा विनिर्माताओं से करनी होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘इसे निर्णय से भारतीय रक्षा उद्योग को इन उपकरणों का विनिर्माण करने का अच्छा मौका मिलेगा। घरेलू विनिर्माता अपनी डिजाइन और विकास क्षमता के दम पर या रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित डिजाइन एवं तकनीक से सैन्य बलों की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।’ इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर नई निर्यात पाबंदी को प्रोत्साहित किया।
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आयात पर रोक की योजना चरणबद्घ तरीके से 2020 से 2024 के बीच लागू की जाएगी। हमारा लक्ष्य भारतीय रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना है।’
दिसंबर से 69 श्रेणियों के रक्षा उपकरणों के लिए सेना व्यापक तौर पर देसी वेंडरों पर निर्भर होंगी। इनमें सेल्फ प्रोपेल्ड ऐंड टोड आर्टिलरी गन, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट, विभिन्न प्रकार के युद्घपोत, हल्के मालवाहक विमान, हल्के लड़ाकू विमान, हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर और परिवहन वाहन शामिल हैं। हालांकि सेना पहले से ही इस तरह के उपकरणों को घरेलू विनिर्माताओं से खरीद रही है लेकिन नई नीति के तहत इसे औपचारिक रूप दिया गया है।
दिसंबर 2021 से सेना को व्हील्ड टैंक, हल्के मशीन गन, असॉल्ट रायफलें, पनडुब्बियों सहित 11 तरह के उपकरणों की खरीद घरेलू स्तर पर करनी होगी। इसी तरह अन्य 21 श्रेणियों के उपकरणों की आपूर्ति भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से करनी होगी। दिसंबर 2022 से से चार तरह के उपकरण, दिसंबर 2023 से आठ तरह के उपकरण और दिसंबर 2024 से आठ तरह के साजो-सामान की खरीद घरेलू विनिर्माताओं से करनी होगी। मंत्रालय के अनुसार सेना दिसंबर 2021 के बाद करीब 5,000 करोड़ रुपये मूल्य के 200 व्हील्ड बख्तरबंद लड़ाकू वाहन खरीदेगी। दिसंबर 2021 से पनडुब्बियों के आयात पर रोक लगने के मद्देनजर नौसेना 42,000 करोड़ रुपये मूल्य की छह पनडुब्बियां खरीदेगी।
दिसंबर के बाद आयात पर प्रतिबंध लगने के मद्देनजर वायु सेना 123 तेजस लड़ाकू विमान खरीदेगी, जिनकी कीमत करीब 85,000 करोड़ रुपये होगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच सेना ने हथियारों की इन 101 श्रेणियों में 3.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के उपकरण खरीदे थे। उन्होंने अनुमान लगाया कि अगले छह से सात वर्षों के दौरान घरेलू उद्योगों को करीब 4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ठेके दिए जाएंगे। राजनाथ ने कहा, ‘इनमें करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये के सौदे थल सेना और वायु सेना की तरफ से आएंगे जबकि 1.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के साजो-सामान के ऑर्डर नौसेना की तरफ से आएंगे।’
हालांकि इन आंकड़ों ये यह संकेत मिल रहा है कि इन श्रेणियों में घरेलू खरीद बढऩे के बजाय घटेगी। 2015 से 2020 के बीच हरेक वर्ष औसत खरीदारी करीब 7,0000 करोड़ रुपये रही है। अगले छह से सात वर्षों के दौरान सालाना औसत कम होकर 61,500 करोड़ रुपये रह जाएगा।