सरकार ने उन कंपनियों के नामों का खुलासा करने की जरूरत समाप्त कर दी है जिन्होंने सरकार के स्वामित्व वाली एयर इंडिया के लिए बोलियां लगाई थीं। एयर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया के मौजूदा नियमों के अनुसार, सरकार को 5 जनवरी तक पात्र बोलीदाताओं की जानकारी देनी थी।
हालांकि निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक नया क्लॉज शामिल कर इस नियम को बदल दिया है। इस क्लॉज के तहत उस समय-सीमा को समाप्त कर दिया गया जिसके तहत ट्रांजेक्शन एडवाइजर ईवाई को पात्र बोलीदाताओं को सूचित करना था।
नए क्लॉज में कहा गया है, ‘प्राप्त ईओआई का मूल्यांकन पूरा होने के बाद ट्रांजेक्शन एडवाइजर प्रत्यक्ष रूप से क्वालीफाइड इंटरेस्टेड बिडर्स (क्यूआईबी) को उनकी पात्रता के बारे में सूचित करेगा और प्रस्तावित लेनदेन के लिए अगले कदम उठाएगा।’
इस घटनाक्रम से अवगत सरकारी अधिकारियों का कहना है कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर ईवाई ने और ज्यादा समय मांगा है, क्योंकि ऐसे कई दस्तावेज हैं जिनकी जांच किए जाने की जरूरत है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ट्रांजेक्शन एडवाइजर (टीए) किसी तरह की समय-सीमा नहीं चाहता है। वह अब किसी समय-सीमा के बगेर ईओआई दस्तावेजों पर काम कर सकता है। एक या दिन और लग रहे हैं तथा अब इस प्रक्रिया में विलंब नहीं होगा।’
अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि बोली अगले चरण में पहुंच गई है, और अब यह ऐसे गोपनीय चरण में है जिसमें सरकार को पात्र बोलीदाताओं के नाम का खुलासा करने की जरूरत नहीं है। हमें कानूनी सुझाव मिले और उसके बाद नियम में संशोधन किया गया।’ अधिकारी ने कहा कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड जैसी अन्य विनिवेश प्रक्रियाओं के लिए भी इस तरह की जरूरत नहीं रह गई है।
समय-सीमा के बगैर, इसे लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं रह गई है कि प्रक्रिया कब पूरी होगी।
वित्त मंत्रालय 31 मार्च में समाप्त वर्ष के लिए निर्धारित 65,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य 14,701 करोड़ रुपये तक पीछे रह गया, और महामारी से पैदा हुई आर्थिक मंदी की वजह से यह लक्ष्य फिर से पिछडऩे की आशंका है। इस साल अब तक, सरकार ने अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स के आईपीओ के जरिये 12,225 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
हालांकि एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि पात्र बोलीदाताओं के नाम का सार्वजनिक तौर पर खुलासा करने की जरूरत को टीए द्वारा समाप्त किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि इसका मकसद यह है कि बोलीदाताओं को यह पता नहीं चल सके कि कितने बोलीदाता इसके पात्र हैं, क्योंकि इससे वित्तीय बोली की मात्रा प्रभावित हो सकती है।
एयर इंडिया के विनिवेश के मामले में, इसकी ज्यादा संभावना है कि एक बोलीदाता की स्थिति उभर रही है और टाटा संस एकमात्र प्रमुख कंपनी हे जिसने एयरलाइन के लिए ईओआई सौंपी है। जहांएयर इंडिया की वाणिज्यिक निदेशक मीनाक्षी मलिक के नेतृत्व वाले कर्मचारी संगठन ने भी ईओआई सौंपी है, वहीं अमेरिका स्थित फंड इंटरप्स इंक ने इस दौड़ से बाहर निकलने का निर्णय लिया है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि यह कदम टाटा समूह के अनुकूल होगा, हालांकि उसने अभी अपने उसे कंसोर्टियम ढांचे को अंतिम रूप नहीं दिया है, जिसके जरिये उसने एयर इंडिया के लिए बोली की योजना बनाई है। टाटा समूह संयुक्त उपक्रम भागीदार सिंगापुर एयरलाइंस के साथ इस मुद्दे पर मंथन कर रहा है, जिसके साथ वह संपूर्ण सेवा प्रदाता एयरलाइन विस्तारा का परिचालन करता है। सिंगापुर एयरलाइंस इस अधिग्रहण को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है, क्योंकि उसकी स्वयं की वित्तीय स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।