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झींगा, परिधान से ज्वेलरी तक, 50% ट्रंप टैरिफ ने कहां खड़ा किया संकट; किन सेक्टर्स में रहेगी छूट

Trump Tariff Impact on Indian Sectors: रूसी कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के कारण 27 अगस्त से लगाया जा रहा है 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क  

Last Updated- August 26, 2025 | 5:35 PM IST
Trump Tariffs
PM नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिकी टैरिफ से पहले स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था और निर्यातकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। (फाइल फोटो)

Trump Tariff Impact on Indian Sectors: अमेरिका में एंट्री करने वाले भारतीय सामानों पर 50 फीसदी का हाई टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो जाएगा। इससे झींगा, परिधान, चमड़ा और रत्न एवं आभूषण जैसे कई श्रम-प्रधान निर्यात क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होंगे। अतिरिक्त आयात शुल्क से अमेरिका को भारत द्वारा किए जाने वाले 86 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात में से आधे से ज्यादा प्रभावित होंगे जबकि दवा, इलेक्ट्रॉनिक और पेट्रोलियम उत्पादों सहित शेष वस्तुओं को शुल्क से छूट जारी रहेगी।

अमेरिकी अधिसूचना के अनुसार, ‘‘शुल्क उन भारतीय उत्पादों पर लागू होगा जिन्हें 27 अगस्त 2025 को ‘ईस्टर्न डेलाइट टाइम’ (ईडीटी) के मुताबिक रात 12 बजकर एक मिनट या उसके बाद उपभोग के लिए (देश में) लाया गया है या गोदाम से निकाला गया है।’’ अमेरिकी बाजार में एंट्री करने वाले भारतीय सामानों पर वर्तमान में 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क पहले से ही लागू है। रूसी कच्चे तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के कारण 27 अगस्त से 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाया जा रहा है।

निर्यातकों ने कहा- अमेरिकी बाजार से हो जाएंगे बाहर

पीटीआई के मुताबिक, निर्यातकों का कहना है कि इस टैरिफ शुल्क के चलते अनेक भारतीय वस्तुएं अमेरिकी बाजार से बाहर हो जाएंगी क्योंकि बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों के उत्पादों पर शुल्क काफी कम है। कुछ कंपनियां बढ़े हुए शुल्क लागू होने से पहले ही अमेरिका को माल की खेप भेज रही हैं।

जुलाई के व्यापार आंकड़ों में यह बात साफ दिखाई दे रही है। भारत का अमेरिका को माल निर्यात जुलाई में 19.94 फीसदी बढ़कर 8.01 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 13.78 फीसदी बढ़कर करीब 4.55 अरब डॉलर हो गया। अप्रैल-जुलाई के दौरान अमेरिका को देश का निर्यात 21.64 फीसदी बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33 फीसदी बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा।

दोनों देशों के बीच BTA पर असमंजस

चमड़ा एवं जूते-चप्पल उद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि जब तक दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर स्पष्टता नहीं आ जाती, तब तक कंपनियों को कर्मचारियों की संख्या कम करने एवं उत्पादन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बीटीए का उद्देश्य वस्तुओं एवं सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से दोगुना कर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। रत्न एवं आभूषण के एक निर्यातक ने भी इसी तरह के विचार साझा किया और कहा, ‘‘आभूषण और हीरा क्षेत्र में नौकरियों में कटौती निश्चित रूप से होगी, क्योंकि अमेरिका हमारा सबसे बड़ा बाजार है।’’

निर्यातक ने कहा, ‘‘ हमें इन उच्च शुल्कों से निपटने के लिए दीर्घकालिक निर्यात रणनीति की आवश्यकता है। हमें ब्याज सब्सिडी, व्यापार करने में आसानी, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) बकाया का समय पर ‘रिफंड’ और विशेष आर्थिक क्षेत्र कानून में सुधार की आवश्यकता है।’’

अतिरिक्त बोझ से अंतर पाटना असंभव: AEPC

AEPC (परिधान निर्यात संवर्धन परिषद) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि 10.3 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ कपड़ा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। उन्होंने कहा, ‘‘ उद्योग ने अमेरिका द्वारा घोषित 25 फीसदी जवाबी शुल्क से सामंजस्य बैठा लिया है..क्योंकि वह शुल्क वृद्धि के एक हिस्से को वहन करने के लिए तैयार है। भारतीय परिधान उद्योग को 25 फीसदी के अतिरिक्त बोझ ने अमेरिकी बाजार से प्रभावी रूप से बाहर कर दिया है क्योंकि बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में 30-31 प्रतिशत के शुल्क अंतर को पाटना लगभग असंभव है।’’

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कपड़ा, रत्न और झींगा पर तगड़ा असर

आर्थिक शोध संस्थान ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव’ (GTRE) ने कहा कि अमेरिकी शुल्क से भारत के अमेरिका को होने वाले 86.5 अरब डॉलर के निर्यात में से 66 फीसदी पर असर पड़ेगा। 27 अगस्त से 60.2 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों पर 50 फीसदी शुल्क लगेगा जिनमें कपड़ा, रत्न और झींगा शामिल हैं।

GTRE के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ 27 अगस्त 2025 से प्रभावी अमेरिका की नई शुल्क व्यवस्था, हाल के वर्षों में भारत के सामने आए सबसे गंभीर व्यापार झटकों में से एक है। भारत के अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर के निर्यात का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा अब 25-50 प्रतिशत के निषेधात्मक शुल्क के अधीन है, जिससे कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, झींगा, कालीन व फर्नीचर जैसे महत्वपूर्ण श्रम-प्रधान क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा तथा रोजगार में भारी गिरावट आ रही है।’’

उन्होंने कहा कि अमेरिकी की नई शुल्क व्यवस्था के चलते वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का अमेरिका को निर्यात लगभग 49.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक गिर जाने की आशंका है। श्रीवास्तव ने कहा कि चीन, वियतनाम, मेक्सिको, तुर्किये और यहां तक ​​कि पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या जैसे प्रतिस्पर्धियों को लाभ होगा। यहां तक कि शुल्क वापस लिए जाने के बाद भी भारत प्रमुख बाजारों से बाहर हो सकता है।

PM मोदी ने स्पष्ट संदेश- दबाव के बावजूद अपने रास्ते पर चलते रहेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमेरिकी टैरिफ से पहले स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था और निर्यातकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। हाल में अहमदाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हम किसी भी आर्थिक दबाव के बावजूद अपने रास्ते पर चलते रहेंगे। आज आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से नई ऊर्जा मिल रही है, जो पिछले दो दशकों की मेहनत का परिणाम है।”

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भारत सरकार ने अमेरिका के इस कदम को अनुचित और अन्यायपूर्ण करार दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों के आधार पर रूस से तेल खरीद रहा है, और अमेरिका ने पहले ही ग्लोबल एनर्जी मार्केट की स्थिरता के लिए इस दिशा में कदम उठाने की सलाह दी थी। भारत फिलहाल तुरंत जवाबी टैरिफ लगाने के बजाय कूटनीतिक बातचीत और निर्यातकों को प्रोत्साहन देने जैसे उपायों पर विचार कर रहा है।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

First Published - August 26, 2025 | 5:35 PM IST

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