अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) की नई चिप रणनीति के तहत अमेरिका सरकार ने इंटेल कॉरपोरेशन में 10% हिस्सेदारी खरीद ली है। शुक्रवार को हुई इस डील के बाद वॉशिंगटन के पास अब इंटेल के 433.3 मिलियन शेयर हैं, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी का करीब 9.9% है।
यह सौदा 8.9 अरब डॉलर (लगभग ₹74,000 करोड़) में हुआ है, जिसकी फंडिंग अमेरिका के Chips and Science Act और Secure Enclave Programme के तहत मिलने वाली ग्रांट से की जाएगी। इससे पहले इंटेल को सरकार से 2.2 अरब डॉलर की मदद भी मिल चुकी है। इस तरह सरकार का कुल निवेश अब 11.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हालांकि, इस हिस्सेदारी के बावजूद सरकार को बोर्ड में कोई सीट या मैनेजमेंट अधिकार नहीं मिलेगा।
BIG NEWS: The United States of America now owns 10% of Intel, one of our great American technology companies.
This historic agreement strengthens U.S. leadership in semiconductors, which will both grow our economy and help secure America’s technological edge.
Thanks to Intel… pic.twitter.com/AYMuX14Rgi
— Howard Lutnick (@howardlutnick) August 22, 2025
ट्रंप ने इसे अमेरिका और इंटेल के लिए “शानदार सौदा” बताया। उन्होंने कहा, “लीडिंग-एज चिप्स का निर्माण हमारे देश के भविष्य के लिए अहम है। सेमीकंडक्टर उत्पादन राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है।”
इंटेल के सीईओ लिप-बु तान ने कहा कि कंपनी अमेरिका में अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने एरिजोना में नई फैक्ट्रियों के विस्तार की योजना का भी जिक्र किया।
विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिका सरकार का यह कदम सीधे तौर पर किसी बड़े कॉरपोरेट में हिस्सेदारी लेने का उदाहरण है, जो आमतौर पर युद्ध या वित्तीय संकट के समय ही देखने को मिलता है। हाल के वर्षों में चिप्स की कमी से दुनिया भर की इंडस्ट्री प्रभावित हुई थी। इस कदम से इंटेल की एशियाई कंपनियों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
यह डील इस बात का भी संकेत है कि ट्रंप प्रशासन Chips Act का इस्तेमाल सिर्फ सब्सिडी देने के बजाय निवेश से रिटर्न हासिल करने में करना चाहता है। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटकनिक ने कहा कि अब सरकार केवल ग्रांट बांटने के बजाय अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ठोस फायदा दिलाने पर जोर दे रही है।
माइक्रोसॉफ्ट, डेल, एचपी और अमेज़न वेब सर्विसेज जैसी टेक कंपनियों ने अमेरिकी चिप सप्लाई चेन मजबूत करने के कदम का समर्थन किया है। हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सिर्फ पैसे से इंटेल की पुरानी समस्याएं हल नहीं होंगी। बर्नस्टीन के विश्लेषक स्टेसी रैसगन ने कहा, “फंडिंग के साथ इंटेल को ज्यादा ग्राहक भी चाहिए, वरना यह विस्तार सफल नहीं होगा।”
इंटेल डील ट्रंप की व्यापक आर्थिक रणनीति का हिस्सा है। हाल ही में उनकी सरकार ने एनविडिया और एएमडी जैसी कंपनियों के साथ रेवेन्यू-शेयरिंग एग्रीमेंट और निप्पॉन स्टील की अमेरिकी यूनिट में ‘गोल्डन शेयर’ जैसी डील भी की है।