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भारत को केंद्र बनाने के लिए स्थिर नीति जरूरी : अघी

Last Updated- December 15, 2022 | 7:50 AM IST

वियतनाम, कंबोडिया और थाइलैंड के पक्ष में वैश्विक भू-राजनीतिक दबाव बढऩे से अमेरिकी कंपनियां चीन के इतर अपना नया ठौर बनाने की संभावनाएं तलाश रही हैं। उद्योग संगठन यूनाइटेड स्टेट्स- इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) के सीईओ मुकेश अघी ने यह बात कही।
हालांकि फोरम इस बात की वकालत कर रहा है कि भारत न केवल एक तरजीही बाजार बल्कि एक निर्यात केंद्र भी है। इसलिए उसके कई सदस्यों ने नीतियों में अचानक बदलाव को लेकर चिंता जताई है क्योंकि इससे उनका वैश्विक निवेश प्रभावित होता है। अघी ने कहा कि कंपनियों को डर है कि नीतियों में अचानक बदलाव किए जाने से उनके दीर्घावधि निवेश को नुकसान होगा। उन्होंने हाल में चीन से आयातित खेप को सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा रोके जाने की घटना का हवाला दिया।
भारतीय बंदरगाहों पर चीन से आयातित वस्तुओं को अचानक रोके जाने के मुद्दे पर फोरम का कहना है कि इससे उन विदेशी निवेशकों को सख्त संकेत मिलेगा जिनकी नजर पारदर्शिता पर होती है। भारत में विनिर्माण केंद्र स्थापित करने वाली कई सदस्य कंपनियों ने सरकार से आग्रह किया है कि बंदरगाह संबंधी नीति में किसी भी बदलाव को प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि कारोबारी समुदाय को उसके अनुरूप अपने कारोबार के संचालन में मदद मिल सके।
ऐपल सहित कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन की विनिर्माण कंपनियों के साथ करार कर रखा है और ऐसे में सीमा शुल्क संबंधी व्यवधान से उनका कारोबार प्रभावित होता है। हालांकि ऐपल के लिए अनुबंध आधारित उत्पादन करने वानी कंपनी फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन ने हाल में भारत में अपना निर्यात केंद्र स्थापित करने के लिए उत्पादन से लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन किया है।अघी ने कहा कि सीमा शुल्क संबंधी हालिया घटना के अलावा ई-कॉमर्स और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी नियमों में लगातार किए जा रहे बदलाव से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बाधाएं पैदा होती हैं।a

First Published - June 29, 2020 | 12:15 AM IST

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