भारत अमेरिका के संयुक्त वक्तव्य में माइक्रॉन, एप्लाइड मटीरियल्स तथा लाम रिसर्च जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों द्वारा परियोजनाओं की घोषणा के बाद संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता को बताया कि कैसे इनसे देश में सेमीकंडक्टर क्षेत्र को बल मिलेगा।
माइक्रॉन, ऐप्लाइड मटीरियल्स और लाम रिसर्च की घोषणाओं का भारत की सेमीकंडक्टर संबंधी योजनाओं पर क्या असर होगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करने पर केंद्रित है। ये घोषणाएं भी यही दिखाती हैं। माइक्रॉन सेमीकंडक्टर क्षेत्र में दुनिया की अग्रणी कंपनियों में है। ऐप्लाइड मटीरियल्स दुनिया में सेमीकंडक्टर उपकरण बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है जबकि लाम रिसर्च देश में करीब 60 हजार इंजीनियरों को प्रशिक्षित करेगी। हमने दुनिया की तमाम गैस और केमिकल कंपनियों से मुलाकात की है। इसका ब्योरा तैयार कर उद्योग जगत से साझा किया जाएगा। सेमीकंडक्टर निर्माण में 250 से अधिक रसायनों और गैस की जरूरत पड़ती है।
माइक्रॉन सौदे से क्या हासिल होगा?
मेमरी चिप का इस्तेमाल मोबाइल, वाहन, लैपटॉप, सर्वर आदि में होता है। कंपनी भारत में आठ अलग-अलग उत्पादन श्रृंखलाओं के जरिये मेमरी चिप बनायेगी। वह केवल वैफर आयात करेगी।
क्या कंपनी से फैब संयंत्र स्थापित करने की बात भी हो रही है?
ऐसा संभव है। एक बार इकोसिस्टम बनने के बाद फैब यूनिट लगना संभव है।
क्या एप्लाइड मटीरियल्स भी भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए उपकरण बनाएगी?
एप्लाइड मटीरियल्स 30 करोड़ डॉलर का निवेश कर रही है और वह भारत में कल पुर्जों के लिए आपूर्ति श्रृंखला बनाएगी। वह भारत में मशीनें बनाएगी जो शायद दुनिया के लिए एक बड़ा केंद्र बनेगा।
इन परियोजनाओं के लिए जमीन पर क्या तैयारी है?
माइक्रॉन को गुजरात में जमीन आवंटित कर दी गई है। अधिकांश स्वीकृतियां दी जा चुकी हैं। सरकार के साथ कीमतों को लेकर अग्रिम समझौता हो चुका है। उसी समूह के भीतर ट्रांसफर प्राइसिंग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा।
पूरी क्षमता से काम शुरू होने के बाद आप किस तरह के मूल्यवर्द्धन की उम्मीद करते हैं?
एक बार संयंत्र शुरू होने के बाद हम सालाना एक अरब (रुपये या डॉलर?) के मूल्यवर्द्धन की उम्मीद करते हैं। इससे देश में पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप बनेगी।
माना जा रहा था कि फैब संयंत्र पर डील की घोषणा होगी, खासतौर पर फॉक्सकॉन-वेदांत डील की। बहरहाल, इसमें कुछ बदलाव देखने को मिला। आखिर हुआ क्या?
हमने विशेषज्ञों से मिली जानकारी के बाद सेमीकंडक्टर कार्यक्रम में बदलाव किया है। ऐसे में अंतिम निर्णय बदलाव पर आधारित होगा। हमने तीनों आवेदकों से प्रस्तावों को संशोधित करने को कहा है। वे नया टेक पार्टनर खोज सकते हैं, नोड्स में जरूरी बदलाव कर सकते हैं।
45 दिन की आरंभिक सीमा के बजाय नए कारोबारियों के लिए 2024 के अंत तक का समय देने का निर्णय लिया गया है? अब मूल्यांकन कैसे होगा?
हम समवर्ती मूल्यांकन करेंगे। शुरुआती दौर में विशेषज्ञों ने हमेशा कहा कि उन्हें तयशुदा ऐप्लीकेशंस दें ताकि वे आकलन कर सकें। इसलिए हमारे पास सीमित समय है। भारत का सेमीकंडक्टर मिशन सुचारू रूप से चल रहा है। हमें उम्मीद है कि 12 महीनों में सेमीकंडक्टर के दो से छह उच्च गुणवत्ता वाले प्रस्ताव आएंगे। हम उनमें से दो-तीन को मंजूर करने की स्थिति में होंगे।
क्या टाटा के अलावा किसी भारतीय कंपनी ने रुचि दिखाई है?
हां। कंपनियां विनिर्माण के साथ टेक्नॉलजी पार्टनर तलाश रही हैं।