वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में रूस उर्वरक की आपूर्ति में भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है। सरकार व उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चल रही वैश्विक बाजार की दरों पर रूस ने छूट की पेशकश कर यह स्थिति हासिल की है और वह बाजार के आकार के पांचवें हिस्से के बराबर कारोबार पर कब्जा बना चुका है।
आयात पर नजदीकी से नजर रख रहे एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि इस वित्त वर्ष की शुरुआत के 6 महीने में रूस से भारत को उर्वरकों का आयात 371 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 21.5 लाख टन पर पहुंच चुका है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्होंने नाम दिए जाने से मना किया है।
मूल्य के हिसाब से देखें तो इस अवधि के दौरान यह 765 प्रतिशत बढ़कर 1.6 अरब डॉलर हो गया है। पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान भारत ने रूस से कुल 12.6 लाख टन आयात किया था। अधिकारी ने कहा, ‘रूस और यूक्रेन के बीच टकराव के बाद भारत उचित मूल्य पर उर्वरक खरीदने के लिए संघर्ष कर रहा था। रूस से समय पर और उचित मूल्य पर आपूर्ति हुई। इससे संभावित कमी से बचने में मदद मिली।’
रूस और बेलारूस से उर्वरक की शिपमेंट पर पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मार्च और उसके बाद वैश्विक बाजार में उर्वरक के दाम में जोरदार बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि ये प्रमुख निर्यातक हैं। वैश्विक पोटाश निर्यात में रूस और बेलारूस की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। अमोनिया के वैश्विक निर्यात में रूस की 22 प्रतिशत, यूरिया निर्यात में 14 प्रतिशत और मोनो अमोनियम फॉस्फेट के निर्यात में हिस्सेदारी करीब 14 प्रतिशत है। यह उर्वरक के प्रमुख घटक हैं।