चीन की बेल्ट ऐंड रोड परियोजना (बीआरआई) के जवाब में भारत समेत क्वाड देशों ने बुनियादी ढांचे पर 50 अरब डॉलर से अधिक रकम लगाने का वादा किया है। इन देशों ने आज कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में बुनियादी ढांचे की कमी दूर करने के लिए सार्वजनिक एवं निजी निवेश जुटाने के वास्ते अगले पांच साल में 50 अरब डॉलर से अधिक सहयोग तथा निवेश किया जाएगा।
चीन की कर्ज में फंसाने वाली कूटनीति पर परेाक्ष तंज कसते हुए क्वाड नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम बुनियादी ढांचे पर सहयोग बढ़ाने के अपना साझा वादा फिर दोहराते हैं क्योंकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उत्पादकता तथा समृद्घि के लिए यह बहुत जरूरी है। हम महामारी के कारण कई देशों में बुरी स्थिति में पहुंच गई कर्ज की समस्या से निपटने का साझा संकल्प भी करते हैं।’
श्रीलंका का नाम लिए बगैर संयुक्त बयान में कहा गया कि क्वाड सदस्य कर्ज की समस्या से जूझ रहे देशों की क्षमताएं बढ़ाने के लिए जी20 साझी व्यवस्था के तहत काम करेंगे और संबंधित देशों के वित्त विभागों के साथ मिलकर कर्ज से बचाव तथा पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे। इसके लिए ‘क्वाड ऋण प्रबंधन संसाधन पोर्टल’ का भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें क्षमता निर्माण के लिए कई द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय उपाय शामिल हैं।
क्वाड नेताओं की बैठक के साथ ही चारों देशों की विकास वित्त संस्थाओं एवं एजेंसियों की भी बैठक हुई। उसमें कहा गया, ‘हिंद-प्रशांत में संपर्क बेहतर करने के लिए हम अपने उपायों तथा विशेषज्ञता के साथ विशेषज्ञों, अपने क्षेत्र तथा एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’
क्वाड देशों ने क्षेत्र में मछलियों का अवैध शिकार रोकने और मानवीय तथा प्राकृतिक आपदाओं का उत्तर देने के लिए समुद्री क्षेत्र की नई जागरूकता पहल ‘हिंद-प्रशांत सामुद्रिक क्षेत्र जागरूकता साझेदारी’ भी शुरू की। चीन को दुनिया में मछलियों का सबसे अधिक अवैध शिकार करने वाला माना जाता है, जिससे मछलियों की वैश्विक संख्या बहुत तेजी से घट रही है और कई देशों में पारंपरिक आजीविका खत्म हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिन की जापान यात्रा के अंत में मीडिया से बात करते हुए विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि क्वाड सम्मेलन में हुई चर्चा के अंत में मोदी ने विशेरूा प्रस्ताव रखे, जो आने वाले महीनों और वर्षों में क्वाड के एजेंडा को आगे ले जाने में योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘प्रस्तावों में जलवायु के लिए वित्तीय सहायता एवं टिकाऊ विकास के क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की जरूरत, आवश्यक और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में साझेदारी मजबूत करने के लिए क्वाड तथा हिंद-प्रशांत देशों में उद्योग एवं कारोबार के लिए उचित मंच तैयार करने की अहमियत पर जोर, साझे हितों के क्षेत्रों में समान सोच वाले देशों के बीच साझेदारी मजबूत करने के औपचारिक एवं अनौपचारिक तरीके शामिल थे।’
