केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भू-राजनीतिक चुनौतियों का विपरीत असर पड़ेगा।
वित्त मंत्री ने फिलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रही हिंसा से वैश्विक झटकों के असर का उल्लेख करते हुए यह कहा। इस आर्थिक गलियारे की घोषणा नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के दौरान की गई थी।
वित्त मंत्री ने इंडो पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2023 में कहा, ‘आईएमईसी सभी देशों के लिए फायदेमंद है। इससे यातायात की कुशलता ने के साथ ढुलाई की लागत कम होगी। इससे आर्थिक एकता बढ़ने के साथ रोजगार का सृजन होगा।
परियोजना से ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम होगा और स्वच्छ, सुरक्षित और बेहतर दुनिया बनेगी। बहरहाल यह भूराजनीतिक चुनौतियों से परे नहीं है और इजरायल और गाजा के बीच चल रहा टकराव इसके लिए चिंताजनक है।’
कई देशों से जुड़े इस महत्त्वाकांक्षी गलियारे की घोषणा सितंबर में हुई थी। केंद्र सरकार द्वारा अधिकतम कनेक्टिविटी की पहचान के लिए योजना बनाई जा रही है, जो पू्र्वी गलियारे के परिचालन में अहम भूमिका निभाएगी और इससे एशिया और भारत के बीच संपर्क स्थापित होगा।
परिवहन के अलावा इस गलियारे में इलेक्ट्रिसिटी केबल, हाई-स्पीड डेटा केबल और हाइड्रोजन पाइपलाइन की योजना शामिल है। अक्टूबर में इजरायल में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद इजरायल के नेतृत्व में गाजा पर हमले के बाद से पश्चिम एशिया में चल रहे हाल के तनावों की वजह से इस क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हुई है और गलियारे को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
आईएमईसी भारत के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी, मुंद्रा (गुजरात) और कांडला (गुजरात) जैसे भारतीय बंदरगाहों को पश्चिम एशिया के बंदरगाहों जैसे यूएई के फुजारा, जेबेल अली और अबूधाबी और सऊदी अरब के बंदरगाहों दमन, रास अली खैर और घुवाईफत को जोड़ेगा।
इसके अलावा आईएमईसी से जुड़ा एक रेलखंड भी है, जो सऊदी अरब और इजरायल के हाइफा बंदरगाह को जोड़ेगा। साथ ही एक समुद्री मार्ग हाइफा को पीरियस के यूनानी बंदरगाह से जोड़ेगा, जिससे यूरोप तक कनेक्टिवटी बन जाएगी।
पीऐंडआई इकाई स्थापित होगी
भारत के ट्रेडरों और लॉजिस्टिक्स कारोबारियों को पिछले 3 साल से कोविड-19 और भू राजनीतिक तनावों के कारण आपूर्ति संबंधी कई झटकों का सामना करना पड़ा है। सीतारमण ने कहा कि कोविड-19 ने समुद्र से जुड़ी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है और इसके कारण शिपिंग बीमा एक प्रमुख नीतिगत क्षेत्र बन गया है।
सीतारमण ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों व दबावों को लेकर भारत की अस्थिरता को कम करने और जहाजों के परिचालन में ज्यादा रणनीतिक लचीलेपन के लिए हम पूरी तरह से भारत के मालिकाना वाले और भारत स्थित संरक्षण और क्षतिपूर्ति (पीऐंडआई) इकाई स्थापित करेंगे, जिससे तटीय और इनलैंड शिपिंग को अतिरिक्त सुरक्षा मिल सकेगी।’
भारत की बड़ी भूमिका
मंत्री ने कहा कि हाल के इजरायल यमन मामले सहित भूराजनीतिक झटकों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शानदार है। सीतारमण ने कहा कि इन स्थितियों को देखते हुए भारत प्रशांत इलाके में भारत बड़ी क्षेत्रीय भूमिका देख रहा है।
सीतारमण ने कहा, ‘हम इस मामले में स्पष्ट हैं कि अपने भीतर केंद्रित शक्ति बनने का जोखिम नहीं उठा सकते। हमारा ध्यान पुराने आर्थिक मॉडल से नए में बदलने की ओर है। ऐसे में हमारे कंधों पर बड़ा क्षेत्रीय दायित्व है और हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।’
मंत्री ने कहा कि भारत प्रशांत क्षेत्र के देश दो प्रतिस्पर्थी व्यवस्ता के बीच फंसा हुआ पाते हैं और ये शक्तियां जुड़ाव के नए विकल्प तलाश रही हैं, जिससे उन्हें शांतिपूर्ण भूआर्थिक लक्ष्य मिल सके और इसमें उनके राष्ट्रीय हितों के साथ व्यापक क्षेत्रीय हितों का ध्यान रखा जा सके।