भारत में हरित ऊर्जा परियोजनाओं और जलवायु को समर्थन देने के लिए इस साल सितंबर में भारत और ब्रिटेन की सरकार द्वारा संयुक्त रूप से पेश की गई क्लाइमेट फाइनैंस लीडरशिप इनीशिएटिव (सीएफएलआई) में अब भारत के व वैश्विक कारोबारी समूह संस्थापक सदस्य के रूप मेंं होंगे।
सीएफएलआई के भारत के सदस्यों में टाटा संस, जीआईसी प्राइवेट लिमिटेड, गोल्डमैन सैक्स, एचडीएफसी बैंंक, एचएसबीसी, कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड, लार्सन ऐंड टुब्रो लिमिटेड, मैक्वायर ग्रुप और भारतीय स्टेट बैंक शामिल हैं।
ब्रिटेन और भारत की सरकार ने सितंबर में सीएफएलआई इंडिया पार्टनरशिप पेश किया था, जिसका मकसद भारत मेंं टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी आकर्षित करना है। इस निवेश से भारत के 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य में मदद मिलेगी।
सीएफएलआई के तहत प्रमुख वित्तीय साधनों का एक समूह भारत में स्वच्छ ऊर्जा जैसे पवन व सौर ऊर्जा व अन्य हरित तकनीकों सहित टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी आकर्षित करेगा। इसकी अध्यक्षता संयुक्त राष्ट्र के जलवायु महत्त्वाकांक्षा व समाधान के विशेष दूत माइकल ब्लूमबर्ग कर रहे हैं।
सीएफएलआई ने एक बयान में कहा कि इसकी भारत इकाई अक्षय ऊर्जा के बुनियादी ढांचे, चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए जल एवं कचरा प्रबंधन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने की दिशा में वित्तपोषण को गति देने का काम करेगी।
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि समूह अन्य वैश्विक वित्तीय संस्थानों व कॉर्पोरेट्स के साथ मिलकर आगे की पहल पर विचार करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम सार्वजनिक निजी सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। यह निजी निवेश आकर्षित करने और शुद्ध शून्य के लक्ष्यों की ओर बढऩे की दिशा में निजी पूंजी लाने के हिसाब से अहम होगा।’
सीएफएलआई ने एक बयान में कहा कि सीएफएलआई के सदस्य ब्लूमबर्ग-एनईएफ के अनुमानित 649 अरब डॉलर के वित्त के अंतर की भरपाई कर सकते हैं, जो भारत को 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करने के लिए चाहिए। ब्लूमबर्ग के नेतृत्व में सीएफएलआई इंडिया के सह अध्यक्ष मैक्वायर समूह के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी शेमारा विक्रमनायके और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन शामिल हैं। इसे ब्रिटेन व भारत सरकारों, सिटी आफ लंदन कॉर्पोरेशन और ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर फैसेलिटी का समर्थन है।
