भारत और अमेरिका प्रौद्योगिकी, भूगर्भीय अनुसंधान एजेंसियों के विकास सहयोगात्मक कार्यक्रमों एवं महत्त्वपूर्ण खनिजों पर तेजी से समझौतों को अंतिम रूप देने के मामले में मिलकर काम करने के लिए सहमत हुए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह फैसला नई दिल्ली में 17-18 जून को इंडिया-यूएस इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल ऐंड एमर्जिंग टेक्नोलॉजी की वार्षिक समीक्षा बैठक में लिया गया।
महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर अमेरिका के साथ भारत की भागीदारी में खनन क्षेत्र में गहरा सहयोग सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है। खनन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पहले दौर की वार्ता हो चुकी है और हमें अमेरिका की ओर से ठोस आश्वासन मिला है। अगले दौर की बातचीत में उन विशेष प्रौद्योगिकियों को हासिल करने पर जोर होगा, जिनकी खनन क्षेत्र में हमें सख्त जरूरत है।’
मंत्रालय ने महत्त्वपूर्ण खनिजों से संबंधित परियोजनाओं एवं महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र के लिए आवश्यक व्यापार प्रौद्योगिकी पाने में सहयोग के लिए अमेरिकी विदेश विभाग से संपर्क साधा है। इस बीच, ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और यूएस ज्योलॉजिकल सर्वे के बीच खनन, वर्गीकरण और विलुप्त प्राय: तत्वों और खनिजों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों का केंद्रीय खनन मंत्रालय ने खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं दिया था।
आईसीईटी द्विपक्षीय ढांचा है, जिस पर दोनों देश एआई समेत प्रौद्योगिकी, क्वांटम कंप्यूटिंग, सेमिकंडक्टर और वायरलैस दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे। इस कार्यक्रम की शुरुआत पिछले साल जनवारी में हुई थी। यह कार्यक्रम भारत-अमेरिका के बीच प्रौद्योगिकी और रक्षा सहयोग में सामरिक साझेदारी के लिहाज से बहुत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।