अमेरिका जाने के लिए वीजा की बहुत अधिक मांग महत्त्वपूर्ण मुद्दा रहा है। इसके मद्देनजर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले को दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के लिए सुनहरे अवसर के तौर पर देखते हैं।
अमेरिकी राजदूत के रूप में अपने अंतिम सार्वजनिक संबोधन में गार्सेटी ने कहा, ‘प्रशांत महासागर की गहराई और संपूर्ण पृथ्वी की चौड़ाई से ज्यादा अमेरिका में भारतीयों की मांग है। कुछ लोग भले ही इसे एक समस्या मानते हों, लेकिन मैं इसे बहुत ही शानदार अवसर के रूप में देखता हूं। ऐसे करीबी संबंध जिन्हें हम दोनों ही और अधिक मजबूत बनाने की इच्छा रखते हैं।’
निवर्तमान राजदूत का बयान ऐसे समय आया है जब ऐसी निश्चित श्रेणी के वीजा पर बहस छिड़ी हुई है, जो अमेरिकी कंपनियों को अस्थायी रूप से उच्च कौशल वाले पेशेवरों को अपने यहां नौकरी के लिए बुलाने की इजाजत देता है। अब सभी की निगाहें 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालने वाले डॉनल्ड ट्रंप के नए प्रशासन पर टिकी हैं।
साल 2024 में भारतीय नागरिकों को 10 लाख गैर प्रवासी वीजा जारी किए गए थे, जिनमें रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक या आगंतुक वीजा शामिल थे। बीते साल 50 लाख से अधिक भारतीयों के पास अमेरिकी वीजा था। अमेरिकी उच्चायोग में पहली बार सबसे अधिक मांग छात्र वीजा के साक्षात्कार के लिए देखी गई।
गार्सेटी ने आगे कहा कि अमेरिकी मिशन ने मांग को पूरा करने के लिए वीजा की प्रक्रिया जल्द से जल्द निपटाने का काम किया। उन्होंने बताया कि मार्च 2023 से अब तक वीजा की मांग में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो गई है। पहली बाद अमेरिका जाने वालों को छोड़ दें तो सभी तरह के वीजा के लिए प्रतीक्षा का समय काफी घट गया है।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय छात्र और अन्य प्रवासी लोग हमारे विश्वविद्यालयों, कंपनियों और शोध संस्थानों के लिए बहुत ही मददगार साबित होते हैं। वे अमेरिका को मजबूत एवं बेहतर देश बनाने के लिए नवाचार के साथ-साथ कर संग्रह का बहुत मजबूत आधार बन रहे हैं।’