facebookmetapixel
एफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहानखूब बरसा मॉनसून, खरीफ को मिला फायदा, लेकिन बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही; लाखों हेक्टेयर फसलें बरबादभारतीय प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा से देश के चिप मिशन को मिलेगी बड़ी रफ्तार, निवेश पर होगी अहम चर्चा

आतंक पर चुप, कर्ज पर मेहरबान! IMF ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर, भारत ने जताया कड़ा ऐतराज

IMF ने कहा कि RSF के तहत मिलने वाली राशि पाकिस्तान को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने और आर्थिक मजबूती बढ़ाने में मदद करेगी।

Last Updated- May 10, 2025 | 9:17 AM IST
IMF
Representative Image

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए करीब 1 अरब डॉलर की तत्काल वित्तीय सहायता को मंजूरी दे दी है। यह मदद मौजूदा एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम के तहत दी जा रही है।

वॉशिंगटन स्थित इस वैश्विक ऋणदाता ने एक बयान में कहा कि उसके कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम की शुरुआती समीक्षा पूरी कर ली है। यह समीक्षा EFF व्यवस्था के अंतर्गत की गई थी।

इस निर्णय के बाद पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर थोड़ी राहत मिल सकती है, जहां वह फिलहाल गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को तुरंत $1 अरब (लगभग SDR 760 मिलियन) जारी करने की मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही इस आर्थिक कार्यक्रम के तहत अब तक पाकिस्तान को कुल $2.1 अरब (SDR 1.52 अरब) मिल चुके हैं।

इसके अलावा IMF के कार्यकारी बोर्ड ने रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत पाकिस्तान के लिए करीब $1.4 अरब (SDR 1 अरब) की नई व्यवस्था को भी मंजूरी दी है।

IMF ने एक बयान में बताया कि पाकिस्तान के लिए 37 महीने का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम 25 सितंबर 2024 को मंजूर किया गया था। इसका मकसद देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाना और टिकाऊ विकास की दिशा में बढ़ना है।

IMF ने कहा कि RSF के तहत मिलने वाली राशि पाकिस्तान को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से लड़ने और आर्थिक मजबूती बढ़ाने में मदद करेगी।

आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक के बाद डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयर नाइजेल क्लार्क ने कहा कि वैश्विक आर्थिक नीतियों को लेकर अनिश्चितता, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू स्तर पर बनी कमजोरियों के चलते आर्थिक परिदृश्य को लेकर जोखिम अब भी ऊंचे बने हुए हैं।

इस बीच भारत ने पाकिस्तान को दिए जा रहे आईएमएफ कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं। भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड की ओर इशारा किया है, बल्कि यह आशंका भी जताई है कि कहीं ये कर्ज सहायता राशि सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न की जाए।

भारत ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा दिए जा रहे 2.3 अरब डॉलर के नए कर्ज पर कड़ा विरोध जताया है। नई दिल्ली ने आशंका जताई है कि यह धनराशि सीमा पार प्रायोजित आतंकवाद के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।

यह आपत्ति IMF के बोर्ड की बैठक में दर्ज की गई, जो शुक्रवार को पाकिस्तान के लिए विस्तारित फंड सुविधा (EFF) कार्यक्रम की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी। भारत ने इस महत्वपूर्ण बैठक में मतदान से दूरी बनाए रखी और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

IMF ने भारत की आपत्तियों और वोटिंग से दूरी को रिकॉर्ड में लिया है।

भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव और बढ़ गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे।

भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कहा है कि जो देश सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उन्हें मदद देना वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाने जैसा है। वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ऐसा करना न केवल अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गलत संदेश देता है, बल्कि फंडिंग एजेंसियों और दाताओं की साख को भी खतरे में डालता है।

बयान में आगे कहा गया है कि भारत ने यह चिंता जताई कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलने वाला धन (जैसे IMF की मदद) का इस्तेमाल कुछ देश सैन्य खर्च और आतंकवाद फैलाने में कर सकते हैं। भारत की इस चिंता को कई अन्य सदस्य देशों का भी समर्थन मिला, लेकिन IMF की ओर से मिली प्रतिक्रिया सिर्फ तकनीकी और औपचारिक प्रक्रिया तक ही सीमित रही।

वित्त मंत्रालय ने इसे वैश्विक वित्तीय संस्थाओं की प्रक्रियाओं में एक गंभीर खामी बताया और कहा कि अब वक्त आ गया है कि इन संस्थानों की नीतियों में नैतिक मूल्यों को भी प्राथमिकता दी जाए।

पाकिस्तान की सेना का आर्थिक नीतियों में गहरा दखल अब भी देश के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भले ही देश में इस समय एक नागरिक सरकार काम कर रही हो, लेकिन घरेलू राजनीति से लेकर आर्थिक फैसलों तक में सेना की भूमिका काफी प्रभावशाली बनी हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में संयुक्त राष्ट्र ने सेना से जुड़े बिजनेस ग्रुप्स को पाकिस्तान का “सबसे बड़ा कारोबारी समूह” बताया था। हालात अब भी नहीं बदले हैं, बल्कि अब सेना स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल में भी अहम भूमिका निभा रही है।

इसी बीच, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की किस्त मिलने पर संतोष जताया है। उन्होंने कहा कि भारत के तमाम विरोध के बावजूद पाकिस्तान को यह मदद मिलना एक बड़ी सफलता है।

पाकिस्तान सरकार ने दावा किया है कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और यह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह एकतरफा आक्रामकता दिखाकर देश के विकास से ध्यान भटकाने की साजिश कर रहा है।

सरकारी बयान में कहा गया, “भारत की कोशिशें नाकाम रही हैं जो इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाना चाह रहा था।” बयान में आगे कहा गया कि IMF की मदद से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी और यह लंबे समय तक सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगी।

सरकार के मुताबिक, मौजूदा समय में टैक्स सुधार, ऊर्जा क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन और निजी क्षेत्र के विकास पर प्राथमिकता से काम किया जा रहा है। बीते 14 महीनों में आर्थिक संकेतकों में जो सुधार देखने को मिला है, वह सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम है।

IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड से मिली मंजूरी के बाद पाकिस्तान को तुरंत 1 अरब डॉलर की अगली किश्त मिली है। इस लोन प्रोग्राम के तहत अब तक कुल 2 अरब डॉलर की राशि पाकिस्तान को मिल चुकी है।

बता दें कि IMF प्रोग्राम के तहत सात हाफ-ईयरली रिव्यू सफलतापूर्वक पूरे करने पर पाकिस्तान को कुल सात बराबर किश्तों में करीब 1-1 अरब डॉलर मिलने का हक होगा।

पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बीच जुलाई में तीन साल के लिए 7 अरब डॉलर की सहायता राशि पर समझौता हुआ था। इस आर्थिक सहायता कार्यक्रम का उद्देश्य देश में मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता को मजबूत करना और समावेशी, टिकाऊ व अधिक लचीला विकास सुनिश्चित करना है।

इस कार्यक्रम के तहत 25 मार्च को पाकिस्तान और IMF के बीच पहली द्विवार्षिक समीक्षा पर स्टाफ-स्तरीय सहमति बनी। इस दौरान कई अहम आर्थिक सुधारों को लागू करने पर सहमति जताई गई। इनमें कार्बन लेवी की शुरुआत, बिजली दरों में समय पर संशोधन, पानी की कीमतों में बढ़ोतरी और ऑटोमोबाइल सेक्टर का उदारीकरण जैसे कदम शामिल हैं। ये सभी उपाय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और IMF की शर्तों को पूरा करने की दिशा में अहम माने जा रहे हैं।

First Published - May 10, 2025 | 9:17 AM IST

संबंधित पोस्ट