HMPV Outbreak: साल 2019 के दिसंबर में चीन के वुहान शहर से एक अज्ञात महामारी की शुरुआत हुई थी, जिसने देखते-देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। बाद में इस महामारी को नाम दिया गया कोरोनावायरस डिजीज (COVID-19)। इस महामारी का प्रसार इतना तेज था कि मात्र 30 दिनों के भीतर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित कर दिया था। तब तक यह महामारी दुनिया के 20 से अधिक देशों में फैल चुकी थी। 11-12 मार्च की रात को WHO ने इसे ‘वैश्विक महामारी’ घोषित कर दिया था।
इस घटना के पांच साल से अधिक होने को चले हैं। WHO द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 70 लाख से अधिक लोगों को इस महामारी की वजह अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक भारत में 5,33,661 लोगों की मौत हो चुकी थी।
अब एक बार पूरी दुनिया में चिंताएं बढ़ गई है। वजह है चीन में फैल रहे एक और रहस्यमयी वायरस ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV)। HMPV का प्रकोप चीन में बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पतालों में इलाज के लिए लोगों की भीड़ लगी हुई है। लोग कोरोना महामारी की तरह ही मास्क और ग्लब्स लगाए हुए है। कथित तौर पर कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि इसके चलते कई लोगों की मौत भी हुई है, जिसके चलते शवदाह गृह भी भर गए हैं।
चीन में फैल रहे इस बीमारी पर अभी तक न ही चीनी सरकार और न ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोई चेतावनी जारी की है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी स्वास्थ्य अधिकारी निमोनिया जैसे शुरुआती लक्षण वाले इस बीमारी के लिए एक अलग निगरानी प्रणाली पर काम कर रहे हैं। इसके तहत इस बीमारी से निपटने के लिए एक अलग सिस्टम बनाया जाएगा और इसे रोकने के उपाय ढूंढने पर काम किया जाएगा।
रिपोर्ट्स में बताया गया कि चीन में राइनो वायरस और HMPV सहित कई सांस से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं, जिसका असर खासतौर पर 14 साल से कम उम्र के बच्चों पर देखने को मिल रहा है।
चीन में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण एवं रोकथाम प्रशासन (NCDPA) से जुड़े एक अधिकारी कान बियाओ ने कहा कि सर्दियों और वसंत में सांस से जुड़ी बीमारी के फैलने की संभावना रहती है। हालांकि, इसके कुल मामले अगर देखें तो यह 2024 के मुकाबले काफी कम है।
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ह्यूमन मेटाप्नेउमोवायरस (HMPV) एक श्वसन संक्रमण फैलाने वाला वायरस है। यह पैरामिक्सोवायरस परिवार का सदस्य है, जो सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनता है। पहली बार इस वायरस की पहचान 2001 में नीदरलैंड में हुई थी, लेकिन इसे बाद में दुनिया भर में पाया गया।
यह वायरस विशेष रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को प्रभावित करता है। इसका मुख्य कारण ठंड का मौसम और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बढ़ती गतिविधियां मानी जा रही हैं।
HMPV के शुरुआती लक्षण बिल्कुल कोरोना महामारी जैसे ही हैं, जिसमें मरीज को सर्दी-जुकाम और सांस लेने में दिक्कत होती है। साथ ही मरीज को हल्के से मध्यम बुखार, खांसी, नाक बहना, छाती में जकड़न और थकान का एहसास होता है।
इसके अलावा यह खांसने या छींकने पर संक्रमित व्यक्ति से निकले ड्रॉपलेट्स के जरिए, संक्रमित व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने या किसी सतह को छूने के बाद और उन सतहों को छूने से जहां वायरस मौजूद हो, से फैल सकता है।
चीनी CDC की वेबसाइट के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिनों का होता है. यह बीमारी साल में कभी भी हो सकती है, लेकिन ठंड और वसंत के मौसम में इसका प्रभाव बढ़ जाता है।
HMPV और कोविड-19 में कई समानताएं है। जैसे कि इन दोनों की शुरुआती लक्षण लगभग एक जैसे हैं और दोनों सांस से जुड़ी बीमारी है। इसके अलावा दोनों के फैलने का तरीका भी लगभग एक जैसा है। साथ ही इसके शुरुआती लक्षण की बात करें तो कुछ शुरुआती लक्षण भी दोनों बीमारियों के एक जैसे हैं।
हालांकि, कई मामलों में दोनों में काफी अंतर भी है। जैसे HMPV कोरोना महामारी के अपेक्षाकृत कम गंभीर है। साथ ही HMPV ज्यादातर मामलों में बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है, जबकि कोविड-19 सभी आयु समूहों के लिए गंभीर हो सकता है।
HMPV को लेकर अभी बहुत अधिक जानकारी सामने नहीं आई है। न ही चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसपर कुछ कहा है और न ही दुनिया के बाकी स्वास्थ्य संगठनों ने कोई एडवाइजरी जारी की है। हालांकि, चीन से आ रही खबरों ने थोड़ा सतर्क जरूर कर दिया है। HMPV के मामले दुनिया के अन्य देशों में पहले भी देखे गए हैं। हाल ही अमेरिका में भी HMPV के मामले में बढ़ोतरी देखी गई थी।