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ग्रे सूची में केमन द्वीप, भारत में निवेश को लगेगा झटका

Last Updated- December 12, 2022 | 7:37 AM IST

कर के लिहाज से मुफीद केमन द्वीप को फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पिछले हफ्ते ग्रे सूची वाले देशों में डाल दिया। एफएटीएफ अंतर-सरकारी निकाय है, जो धनशोधन निरोधक मानक तय करता है।
केमन के अलावा बुर्किना फासो, मोरक्को और सेनेगल को भी ग्रे सूची में डाला गया है। इसके तहत उस इलाके को तब तक गहन निगरानी में रखा जाता है जब तक कि वे तय समयसीमा में रणनीतिक कमियां दूर नहीं कर लेते। पिछले साल मॉरीशस को इस सूची में डाला गया था। केमन द्वीप से भारत में निवेश करने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक को अतिरिक्त केवाईसी की दरकार होगी। इन फंडों को उन सभी निवेशकों की अद्यतन लाभकारी स्वामित्व की जानकारी देनी होगी, जिनके पास फंड की 10 फीसदी से ज्यादा होल्डिंग है जबकि अभी यह सीमा 25 फीसदी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एक कस्टोडियन ने कहा, केमन द्वीप के एफपीआई खुद को एफपीआई के तौर पर पंजीकृत कराने के पात्र होंगे लेकिन यह सख्त निगरानी व बढ़ी हुई जांच परख के तहत ही हो सकता है।
ग्रे सूची में शामिल होने से ब्रिटिश क्षेत्र से निवेश प्रवाह पर असर पड़ सकता है क्योंकि फंड अपने गृह इलाके या क्षेत्र मसलन सिंगापुर व साइप्रस से भारत में निवेश को री-डायरेक्ट करना चाहेंगे। यह बड़े निवेशकों मसलन पेंशन, एंडोमेंट और सॉवरिन वेल्थ फंड आदि के बीच नकारात्मक धारणा बना सकता है, जिसका इन्वेस्टमेंट चार्टर ऐसे इलाकों से निवेश पर पाबंदी लगा सकता है।
कस्टोडियन ने इन फंडों की स्थिति पर स्पष्टीकरण के लिए सेबी से संपर्क साधा। नियामक ने उनसे फंडों पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा है, जो अभी कैटिगरी-1 में आते हैं।
केमन द्वीप के 339 एफपीआई में से 80 फीसदी से ज्यादा को अभी सेबी ने कैटिगरी-2 में वर्गीकृत किया है। ग्रे सूची में शामिल होने के बाद इन फंडों के लिए कैटिगरी-1 में आना मुश्किल बना दिया है। बाकी कैटिगरी-1 के 20 फीसदी फंडों को कैटिगरी-2 मेंं जाना पड़ सकता है क्योंंकि देश को नया स्टेटस मिल गया है। विशेषज्ञों ने ये बातें कही।
एफएटीएफ ने पिछले हफ्ते एक नोट में कहा, फरवरी 2021 में केमन द्वीप ने एफएटीएफ व सीएफएटीएफ के साथ काम करने की उच्चस्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता जताई ताकि एएमएल/एलसीएफ की प्रभावोत्पादकता को मजबूत बनाया जा सके।
केमन को अब अपनी एएमएल/सीएफटी नैशनल स्ट्रैटिजी को अपडेट करना होगा, क्षेत्रीय जोखिम का आकलन करना होगा, धनशोधन निरोधक नियम आदि में संशोधन करना होगा और उन पक्षकारों पर पर्याप्त पाबंदी लगानी होगी, जो सही व पर्याप्त व अद्यतन लाभकारी स्वामित्व की सूचना नहीं देते। साल 2018 में केमन को 25 देशों की सूची में शामिल किया गया था, जिन्हें उच्च जोखिम वाले इलाकों के तौर पर भारत में विदेशी कस्टोडियन के एक समूह ने वर्गीकृत किया था, जिसमें गहन जांच की दरकार होती है। इस सूची को बाद में खत्म कर दिया गया और हर कस्टोडियन को अपनी सूची बनाने को कहा गया।
पिछले साल ईयू ने केमन द्वीप व तीन देशों पलाऊ, पनामा और सेशल्स को कर के लिहाज से मुफीद काली सूची में शामिल किया था। ईयू ने कहा था कि तीनों इलाकों ने जरूरी कर सुधार नहीं किया है।
इस इलाके को भारत में एफपीआई व एफडीआई निवेश के लिहाज से अहम माना जाता है। वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के आंकड़ों के आधार पर यह अभी भारत में एफडीआई के लिहाज से तीसरा सबसे तरजीही स्रोत है।

First Published - March 1, 2021 | 11:40 PM IST

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