भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम 2008-09 के दौरान मानवयुक्त मिशन और मानव अंतरिक्ष उड़ानों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा। इस अति विशिष्ट अनुसंधान का महत्व समझते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के लिए 4,074 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं। यह रकम 2007-08 के मुकाबले 23.8 प्रतिशत अधिक है।
जियो-सिंक्रोनस सेटैलाइट लांच व्हीकल(जीएसएलवी)और मानवयुक्त मिशन जैसी तकनीक को दिशा देने के लिए 1588.48 करोड़ रुपये आबंटित किये गए हैं। अंतरिक्ष में 400 किलोमीटर दूरी तय करने वाले दो-सदस्यीय मानवयुक्त यान के विकास के लिए पिछले साल मात्र 2.5 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि इसके लिए इस साल 100 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं। स्वदेश निर्मित और उन्नत अंतरिक्ष अनुसंधान संबंधी उत्पादों के लिए इस बजट में आबंटन की बारिश की गई है। 2007-08 के 13.95 करोड रुपये के मुकाबले इस साल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र(इसरो)को 350 करोड रुपये आबंटित किए गए
हैं। यह राशि इसरो को अंतरिक्ष से संबंधित घरेलू उद्योग विकसित करने और विविध इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सामग्रियों और रसायनों के विकास के लिए दी जा रही है। इसके अंतर्गत इसरो अपने भविष्य की योजनाओं को भीर् मूत्त रुप दे पाएगा।
रिमोट सेंसिंग डाटा के तहत पारंपरिक तकनीक को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तंत्र के विकास के लिए सरकार ने बजट सहायता देने की बात कही है।
किरोसिन और तरल ऑक्सीजन से चलने वाले अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन को विकसित करने के लिए भी इस साल कई तरह की विकास नीति बनाई जाएगी।
चंद्रयान 1 को भी बजट सहायता देने की बात कही गई है। चंद्रयान -1 के तहत चांद के त्रि-आयामी तस्वीरों को लिया जाएगा और चांद के तल पर पाए जाने वाले विविध तत्वों का अध्ययन किया जाएगा। चंद्रयान 1 को इसी साल छोड़ने की योजना है।
