माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष बिल गेट्स चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा विदेशी कामगार उनके देश में आकर अपनी हुनर का प्रदर्शन कर सकें। इसी कड़ी में उन्होंने अमेरिकी सरकार से मांग की है कि देश में आव्रजन कानूनों को सरल बनाया जाए और ज्यादा से ज्यादा वर्क वीजा उपलब्ध कराए जाएं।
गेट्स का मानना है कि अब तक सालाना 65,000 एच-1बी वीजा जारी किए जाते थे, जिनकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
उन्होंने इस आग्रह के पीछे तर्क दिया है कि अब तक किसी पेशेवर को छह साल के लिए वर्क वीजा दिया जाता है पर विभिन्न
कंपनियों को देश में तकनीकी कामगारों की कमी होती रही है। गेट्स के अनुसार देश में तकनीकी पेशेवरों की कमी से निपटने के लिए ही विदेशी कामगारों की फौज जरूरी होती है।
उन्होंने कहा कि जब विदेशी प्रशिक्षित पेशेवरों को वीजा के लिए लंबे समय तक चक्कर लगाना पड़ता है तो ऐसे में अमेरिकी कंपनियों को कामगारों की कमी हो जाती है।
ऐसे में यह खतरा लगातार बना रहता है कि कहीं वैश्विक प्रतिस्पद्र्धा में देश पीछे न रह जाए। अमेरिकी के तकनीकी क्षेत्र की मांग है कि एच-1 बी की सीमा को बढ़ाकर 1,15,000 कर दिया जाए। गौरतलब है कि 1995 में यह सीमा 1,95,000 थी जिसे घटाकर 65000 कर दिया गया।
इस मसले पर कॉरपोरेट जगत और राजनीतिज्ञों के बीच टकराव साफ नजर आ रहा है।
जहां तकनीकी कामगारों के लिए एच-1 बी वीजा की सीमा बढ़ाने की मांग ने जोर पकड़ा है वहीं अमेरिकी काग्रेस की प्रतिनिधि सभा के सदस्य दाना रोहराबेकर कहते हैं कि अमेरिकी लोगों की अच्छी खासी संख्या मौजूद है जिसे नौकरी दी जा सकती है।
लेकिन यहां लोगों को भारत, चीन या कहीं और से मलाई लानी है चाहे देश के 1,50,000 कंप्यूटर प्रोग्रामर बेरोजगार रह जाएं।
विदेशी प्रतिभाओं को देश में लाने के चलन पर बेचैनी कईं संवेदनशील मसलों की ओर ध्यान खींचती है।
मेरियेटा के प्रतिनिधि फिल गिनग्रे सैट परीक्षा में भारतीय और एशियाइयों की बढ़ती संख्या पर खासे परेशान हैं और बिल गेट्स से सवाल पूछते हैं कि अगर वीजा की संख्या बढ़ाकर और ज्यादा कुशल कामगारों को देश में लाते रहे तो क्या यह इंजीनियिरिंग जैसे तकनीकी क्षेत्रों में भविष्य बनाने की चाहत रखने वाले अमेरिकी छात्रों के लिए नुकसानदायक नहीं होगा।