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USA यात्रा से पहले मोदी बोले, चीन के साथ सामान्य संबंधों के लिए शांति जरूरी

चीन के साथ संबंधों पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा मूल विश्वास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाध

Last Updated- June 20, 2023 | 10:38 PM IST
PM Modi at G7 summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी और सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों या यहां तक कि 2014 के बाद से मोदी की पिछली आधा दर्जन अमेरिका की यात्राओं को तुलनात्मक रूप से काफी महत्वपूर्ण बताया है लेकिन मंगलवार की सुबह तीन दिवसीय ‘राजकीय यात्रा’ के लिए न्यूयॉर्क रवाना हुए और प्रधानमंत्री मोदी की यह अमेरिका की पहली ‘राजकीय यात्रा’ है। जो बाइडन प्रशासन की तीसरी और 2009 में मनमोहन सिंह को राजकीय यात्रा पर आमंत्रित किए जाने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह दूसरी राजकीय यात्रा है।

अमेरिका और भारत चीन को लेकर सावधान हैं और अमेरिका चाहता है कि भारत, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर अधिक स्पष्ट रुख अपनाए। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच दूरसंचार, अंतरिक्ष और विनिर्माण सहित उभरती हुई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक सहयोग रोडमैप पर प्रगति करने के साथ ही एक जेट इंजन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर भी काम कर रहे हैं।

‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि वह भारत की आजादी के बाद पैदा हुए पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी विचार प्रक्रिया, मेरा आचरण, जो मैं कहता हूं और करता हूं, वह सब मेरे देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है। मुझे इससे अपनी ताकत मिलती है। मैं अपने देश को दुनिया के सामने वैसा ही पेश करता हूं जैसा मेरा देश है और खुद को वैसा ही पेश करता हूं, जैसा मैं हूं।’

प्रधानमंत्री ने चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए जरूरी, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के महत्व के बारे में बात की। यूक्रेन संघर्ष पर मोदी ने कहा, ‘कुछ लोग कहते हैं कि हम तटस्थ हैं। लेकिन हम तटस्थ नहीं हैं। हम शांति के पक्ष में हैं। विवादों को ‘कूटनीति और बातचीत’ से सुलझाया जाना चाहिए, युद्ध से नहीं।’

न्यूयॉर्क पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री, टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और ट्विटर के मालिक एलन मस्क सहित विभिन्न क्षेत्रों के दो दर्जन से अधिक दिग्गज शख्सियतों से मुलाकात करेंगे। मोदी ने मस्क से आखिरी बार 2015 में कैलिफॉर्निया में टेस्ला मोटर्स की फैक्टरी का दौरा करने के दौरान मुलाकात की थी।

लेकिन 2022 में मस्क के ट्विटर अधिग्रहण के बाद, दोनों के बीच यह पहली मुलाकात होगी। ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के साथ एक साक्षात्कार में, मस्क ने कहा कि टेस्ला इस साल के अंत तक भारत में अपनी फैक्टरी स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थान का निर्णय लेगी। वर्तमान में, टेस्ला के वैश्विक उत्पादन का आधा से अधिक चीन में होता है।

सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री खगोल भौतिकीविद नील देग्रास टायसन, विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी पॉल रोमर, लेबनानी-अमेरिकी लेखक नासिम निकोलस तालिब, निवेशक रे डालियो, अमेरिकी गायक फालू शाह, पूर्व अमेरिकी राजनयिक डैनियल रसेल, नोबेल पुरस्कार विजेता फिजिशियन पीटर एग्रे, संगीत कलाकार चंद्रिका टंडन, सांख्यिकीविद निकोलस नासिम तालिब और रक्षा विशेषज्ञ एल्ब्रिज कॉल्बी से मुलाकात करेंगे।

साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के नेताओं के बीच ‘अभूतपूर्व भरोसा’ है और संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत और गहरे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा सहयोग उनकी साझेदारी का ‘एक महत्वपूर्ण स्तंभ’ है जिसका विस्तार व्यापार, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्र तक है।

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ अधिक कड़ा रुख नहीं अपनाने के लिए अमेरिका में हो रही भारत की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अमेरिका में इस तरह की धारणा व्यापक है। मुझे लगता है कि पूरी दुनिया में भारत की स्थिति जगजाहिर है और सभी इसे अच्छी तरह से समझते हैं।

दुनिया को पूरा विश्वास है कि भारत की शीर्ष प्राथमिकता, शांति ही है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत जो कुछ भी कर सकता है वह करेगा और भारत इस संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है।’

चीन के साथ संबंधों पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा मूल विश्वास संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में है। इसके साथ ही भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार और प्रतिबद्ध है।’

इस साक्षात्कार में मोदी ने संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संस्थानों में सुधार का आह्वान किया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने की भारत की महत्वाकांक्षा के बारे में भी बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, दुनिया में कहीं अधिक गहरी और व्यापक भूमिका का हकदार है। उन्होंने कहा, ‘प्रमुख संस्थानों की सदस्यता को देखिए क्या यह वास्तव में लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं?’

मोदी ने कहा, ‘अफ्रीका जैसी जगहों का कोई प्रतिनिधित्व है? भारत की इतनी बड़ी आबादी है और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन क्या इसकी उपस्थिति है? मैं स्पष्ट कर दूं कि हम भारत को किसी देश की जगह लेने के रूप में नहीं देखते हैं। हम इस प्रक्रिया को विश्व में भारत के उचित स्थान हासिल करने के रूप में देखते हैं।’ मोदी ने हाल ही में अफ्रीकी संघ से जी-20 में एक सीट हासिल करने की अपील की थी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज की दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और एक-दूसरे पर निर्भर है। आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक विविधता लानी जरूरी है।’ मोदी ने कहा कि भारत एक ऐसी भूमि रही है जहां सभी धर्मों और विश्वासों के लोग हजारों वर्षों से स्वतंत्र तरीके से और शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व के आधार पर रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आप पाएंगे कि दुनिया के हर धर्म के लोग भारत में सद्भाव के साथ रह रहे हैं।’

इस यात्रा से प्रधानमंत्री का करिश्मा और दिखेगा और केंद्रीय मंत्रियों सहित विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य ने कहा कि मोदी, नेल्सन मंडेला और विंस्टन चर्चिल की कतार के एक दुर्लभ नेता हैं, जिन्हें एक से अधिक बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करने का सम्मान मिला है वहीं भाजपा की सोशल मीडिया टीम इस बात पर जोर दे रही है कि यह यात्रा कैसे ऐतिहासिक है।

First Published - June 20, 2023 | 10:38 PM IST

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