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बैंक बन रहे हैं दीवार, क्या करें मकानों के खरीदार…

Last Updated- December 05, 2022 | 5:14 PM IST

अमेरिका में काफी लोग ऐसे हैं जो मौजूदा वित्तीय संकट के बावजूद मकान खरीदने की ख्वाहिश तो रखते हैं पर बैंकों की ओर से उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पा रहा है।


भले ही फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में खासी कटौती की है और लगातार यह आश्वासन भी देते रहे हैं कि जब भी जरूरत होगी तो वह आगे भी कटौती के लिए तैयार रहेंगे, फिर भी कर्ज देने वालों के कानों पर जू तक नहीं रेंग रही है। वह अब भी उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर ऋण देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। सैन डिएगो की मारजोरी किलियन की हालत कुछ ऐसी ही है।


वह मकान खरीदने का मन तो बना चुकी हैं और उनकी वित्तीय स्थिति भी ऐसी नहीं है कि वह नगद भुगतान कर मकान खरीद सकें। इस वजह से वह यह भी जानती हैं कि उन्हें हर हालत में मकान खरीदने के लिए बैंक से कर्ज लेना ही पड़ेगा। पर दिक्कत यह है कि वह तब तक संपत्ति खरीदने के लिए ऋण नहीं लेना चाहती हैं जब तक उन्हें 5.5 फीसदी की स्थिर दर पर ऋण मुहैया नहीं कराया जाए।


ऐसे ही कई लोग अमेरिका में हैं जो हाउसिंग संकट के बावजूद मकान की खरीदारी का जोखिम उठाने को तैयार हैं और यह भी तय है कि अगर ऐसे खरीदार आगे नहीं आएंगे तो हाउसिंग संकट से छुटकारा पाना भी मुमकिन नहीं हो पाएगा।


ऐसे में क्या ब्याज दरों में कटौती ही फेडरल का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए, इस पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारों का मानना है कि फेडरल के अध्यक्ष बेन एस बर्नान्के को अब नीतिगत फैसलों से थोड़ा आगे निकलते हुए यह भी सोचना चाहिए कि जो कदम वह उठा रहे हैं जमीनी स्तर पर उनका कितना फल मिल रहा है। बैंकों को गत वर्ष जुलाई से अब तक मॉर्गेज संबंधित प्रतिभूतियों की वजह से 200 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है।


शायद यही वजह है कि बर्नान्के के किसी कदम का उन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है। 2007 की चौथी तिमाही में बैंकिंग क्षेत्र की आय 16 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच कर 5.8 अरब डॉलर रह गई थी। यह आंकड़ा इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बैंकों ने इससे पहले लगातार छह सालों तक मुनाफा कमाया है।


कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर क्लाइव ग्रैंगर ने कहा, ”फेडरल का बर्ताव ठीक उसी तरीके का रहा है जैसे कोई कार चालक स्टीयरिंग पर थोड़ी सी पकड़ बनाकर गाड़ी चला रहा हो और ब्रेक पर उसकी कोई पकड़ ही न हो।” उन्होंने कहा कि अगर आर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है तो इसके लिए जरूरी है कि लोगों को उस दर पर ऋण उपलब्ध कराए जाएं, जिसका बोझ वे उठा सकते हों। पर फेडरल इन मामलों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है।


दिलचस्प है कि गत वर्ष सितंबर के बाद से ब्याज दरों में सात बार कटौती की जा चुकी है और यह कटौती छोटी मोटी नहीं बल्कि तीन फीसदी की रही है फिर भी इतनी ही अवधि में 30 वर्षों के लिए ऋण की ब्याज दरों में केवल आधा फीसदी की कमी आई है। बैंक ऑफ अमेरिका और जेपी मॉर्गन चेज एंड कॉरपोरेशन 30 वर्षों के लिए ऋण पर 6.13 फीसदी की दर से ब्याज वसूलते हैं।


दरों पर एक नजर


पिछली दफा 2002 में मॉर्गेज दरें सबसे निचले स्तर पर थीं। 5.93 की दर के साथ यह चार दशकों के निचले स्तर पर थीं। गौरतलब है कि उस समय फेडरल के ही कदम से मॉर्गेज दरों में कटौती का फायदा मिला था। फेडरल ने ठीक एक महीने पहले ब्याज दरों में आधा फीसदी की कटौती की थी, जिससे ब्याज दरें नीची आ गई थीं।

First Published - March 28, 2008 | 9:53 PM IST

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