facebookmetapixel
इन्फोपार्क से मिलेगी केरल के प्रगति पथ को और रफ्तारGVK के उत्तराधिकारी को एआई कॉल असिस्टेंट इक्वल से उम्मीद4 में से 3 नई कंपनियों की शेयर बाजार में हुई खराब शुरुआतक्रिकेट स्पॉन्सर​शिप के मैदान में अपोलो टायर्स का बड़ा दांव, बढ़ेगा विज्ञापन खर्चई-दोपहिया का पंजीकरण पहली छमाही में 18% बढ़ाटैक्स से लेकर जीडीपी तक: बेहतर कलेक्शन वाले देशों से भारत क्या सीख सकता है?IMD Report: विदा हुआ मॉनसून, 8% ज्यादा हुई बारिशअमेरिकी शुल्क और एच-1बी वीजा के चलते आईटी क्षेत्र पर दबावदेश में आत्महत्या से दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित, 5 साल में 45% बढ़े मामलेH-1B वीजा पाबंदी के बाद अमेरिकी कंपनियां भारत में बढ़ाएंगी निवेश, GCC केंद्रों को मिलेगा विस्तार

श्रीलंका को हरसंभव मदद का ऐलान

Last Updated- December 11, 2022 | 5:27 PM IST

श्रीलंका के हालात को लेकर आयोजित एक सर्वदलीय बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत ने श्रीलंका को 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर की ‘मानवीय’ सहायता प्रदान की है। इसके साथ ही भारत श्रीलंका की आर्थिक मदद करने वाला सबसे बड़ा मुल्क बन गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) तथा अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ संबद्धता को लेकर श्रीलंका की ‘सहायता’ करेगा।
जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने इस सर्वदलीय बैठक का आयोजन श्रीलंका में उत्पन्न गहन संकट को देखते हुए किया था। उन्होंने कहा, ‘श्रीलंका में असाधारण हालात हैं और हम उसके वित्तीय, सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को महसूस कर सकते हैं। श्रीलंका हमारा निकटस्थ पड़ोसी देश है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह चिंता भी है कि भारत इस घटनाक्रम से अछूता नहीं रह सकता। यदि पड़ोसी मुल्क में अस्थिरता या किसी तरह की हिंसा होगी तो वह हमारे लिए गहरी चिंता का विषय है।’
बैठक में जो अहम मुद्दे उठाए उनमें एक मुद्दा भारतीय मछुआरों तथा उस समस्या के तमाम पहलुओं से था जो तमिलनाडु में उत्पन्न होती रहती है क्योंकि इस प्रांत की समुद्री सीमा श्रीलंका से बहुत करीब से मिलती है। जयशंकर ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच यह  लंबे समय से लंबित मुद्दा है लेकिन फिलहाल असल संकट श्रीलंका की आर्थिक स्थिति  तथा उस पर अन्य देशों का कर्ज है।
उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता को लेकर हो रही तुलनाएं गलत हैं। राहुल गांधी ने बीते दो दिनों में अपने ट्वीट में भारत की तुलना श्रीलंका और वहां के जन विद्रोह से की है।
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों मसलन द्रमुक और एआईएडीएमके ने संसद के मॉनसून सत्र के पहले एक सर्वदलीय बैठक में मांग की थी कि भारत को श्रीलंका के संकट में हस्तक्षेप करना चाहिए। जयशंकर ने किसी तरह के सक्रिय हस्तक्षेप का जिक्र नहीं किया। जानकारी के मुताबिक कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने भी ऐसी अटकलों को खारिज किया है कि भारत सैन्य हस्तक्षेप करेगा या सत्ताच्युत राजपक्षे शासन को किसी तरह का बचाव मुहैया कराएगा। बैठक में कोलंबो के भारतीय  उच्चायुक्त गोपाल बागले तथा वित्त मंत्रालय के अधिकारियों समेत कई अधिकारी मौजूद थे। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने अपनी प्रस्तुति देकर इस धारणा का प्रतिवाद किया कि भारत भी श्रीलंका जैसी स्थिति में पहुंच सकता है।
जयशंकर ने कहा, ‘कई सदस्य श्रीलंका के हालात को लेकर चिंतित थे और हमने उस प्रश्न का अनुमान भी लगाया था। हमने मीडिया में कुछ अत्यंत गलत अटकलें भी देखीं कि श्रीलंका के हालात को देखते हुए हमें भारत के कुछ हिस्सों को लेकर चिंतित होना चाहिए। ऐसे में हमने वित्त मंत्रालय से कहा कि वह एक प्रस्तुति देकर इसका खंडन करें। प्रस्तुति में व्यय-राजस्व की तुलना, जीएसडीपी तथा देनदारी, वृद्धि दर तथा विभिन्न राज्यों की देनदारी, बजट उधारी,  परिसंपत्ति मॉर्गेज, बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के बकाया और राज्यों की बकाया गारंटी आदि का उल्लेख था। काफी अच्छी चर्चा हुई और सदस्यों ने हमारी बातें सुनीं।’
हालांकि तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसे दलों ने इसकी तत्काल आलोचना की। भारी राजस्व घाटे से जूझ रहे तेलंगाना के सरकारी सूत्रों ने बताया, ‘हम राज्यों की उधारी के जिक्र का कड़ा प्रतिवाद करते हैं। केंद्र सरकार की उधारी की बात क्यों नहीं की जा रही? इसमें राजनीति क्यों हो रही है? भाजपा कार्यालय ने राजनीतिक कारणों से तेलंगाना की वित्तीय स्थिति का मुद्दा उछाला।’
बैठक के बाद नैशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारुक अब्दुल्ला ने कहा, ‘श्रीलंका मर रहा है। हमें उसे बचाना होगा। वित्त सचिव ने कहा कि हमारी स्थिति उतनी बुरी नहीं है और हमारा मुद्रा भंडार अच्छा है। श्रीलंका के लिए चीन का कर्ज का जाल ही इकलौती चिंता नहीं है। उन्होंने कई जगह से पैसे लिए हैं। आईएमएफ के सिवा उनके पास कोई विकल्प नहीं। मुझे आशा है भारत इसमें मददगार साबित होगा।‘ इस ब्रीफिंग में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी के अलावा कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और मणिकाम टैगोर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार तथा द्रमुक के टी आर बालू एवं एमएम अब्दुल्ला भी मौजूद थे।

First Published - July 20, 2022 | 12:54 AM IST

संबंधित पोस्ट