भारत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए फिर तैयार है, लेकिन महिलाओं के नेतृत्व वाली तकनीकी स्टार्टअप का परिदृश्य काफी हद तक जस का तस बना हुआ है। हर साल उनकी तादाद घटती जा रही है और महिला के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए रकम जुटाना मुश्किल होता जा रहा है।
साल 2021 में महिलाओं के नेतृत्व वाली स्टार्टअप ने रिकॉर्ड 6.3 अरब डॉलर जुटाए थे। मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष उद्यमियों ने 2024 में 10.8 अरब डॉलर जुटाए जबकि महिलाओं द्वारा स्थापित अथवा उनके नेतृत्व वाली कंपनियों द्वारा जुटाई गई रकम महज 1 अरब डॉलर रही।
रुकम कैपिटल की संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर अर्चना जहांगीरदार ने कहा कि भारत में उद्यमिता का परिवेश अभी भी महिलाओं के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यहां महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल परिवेश नहीं है। महिलाओं के पास शुरुआती चरण की संस्थापक के तौर पर वित्तीय स्थिरता नहीं है और वे अपने अधिकारों के लिए खड़ी नहीं हो पाती हैं।’ उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत अधिक वित्तीय सुरक्षा के कारण तमाम महिलाएं शुरुआती वर्षों में पेशेवर नौकरियां तलाशती हैं।
अचीविंग वीमन इक्विटी (एडब्ल्यूई) फंड्स की संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर सीमा चतुर्वेदी ने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए ऋण की स्थितियों में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने कहा, ‘सफल महिला उद्यमियों के तमाम उदाहरण मौजूद हैं, लेकिन वास्तव में उनकी तादाद काफी कम है।’उन्होंने कहा कि भारत में नायिका की फाल्गुनी नायर, मामाअर्थ की गजल अलघ, मोबिक्विक की उपासना टाकू, ऑफबिजनेस की रुचि कालरा और ओपन की माबेल चाको जैसी प्रतिष्ठित महिला उद्यमी मौजूद हैं।
पिछले पांच वर्षों के दौरान स्थापित करीब 2,432 स्टार्टअप में कम से कम एक महिला सह-संस्थापक रही हैं। इस लिहाज से साल 2021 सबसे बेहतर रहा और उस दौरान 744 कंपनियों में महिला सह-संस्थापक थीं। मगर उसके बाद महिला सह-संस्थापकों की तादाद कम होने लगी और 2024 में महज महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों की तादाद घटकर महज 155 रह गई।
मगर महिलाओं के नेतृत्व वाली वेंचर कैपिटल फर्म तमाम कार्यक्रमों के जरिये महिला उद्यमियों को आगे बढ़ा रही हैं। रुकम कैपिटल के निवेश वाली 14 कंपनियों में से 21 फीसदी कंपनियों में कम से कम एक महिला सह-संस्थापक हैं। इनमें द इंडस वैली, फूड स्ट्रॉन्ग और गो देसी शामिल हैं। चतुर्वेदी ने कहा, ‘एडब्ल्यूई फंड्स ने जिन 7 निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताई है उनमें से 6 कंपनियों का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। हम पूरे पोर्टफोलियो को जेंडर-स्मार्ट बनाएंगे।’
शी कैपिटल की संस्थापक पार्टनर अनीशा सिंह ने कहा कि अब तक किए गए 14 निवेश में से 8 ने दूसरी बार रकम जुटा ली है। उन्होंने बताया कि इनमें से एक को छोड़कर सभी कंपनियां महिलाओं के नेतृत्व अथवा सह-नेतृत्व वाली हैं।
अराइज वेंचर्स के स्ट्रॉन्गहर ब्रांड की मैनेजिंग पार्टनर अंकिता वशिष्ठ ने कहा कि इस फंड की स्थापना इसलिए की गई क्योंकि महिला संस्थापकों को पुरुषों के मुकाबाले ऋण संसाधनों और नेटवर्किंग बराबर पहुंच नहीं थी।