ट्रकों के लिए वातानुकूलित (एयर कंडीशन्ड) केबिन अनिवार्य करने के प्रस्ताव से ट्रक ऑपरेटर चिंता में पड़ गए हैं। उनका कहना है कि इससे ट्रक के दाम 50,000 रुपये तक बढ़ जाएंगे और मालभाड़ा भी बढ़ जाएगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की योजना है कि 2025 से ट्रकों में एसी केबिन अनिवार्य कर दिए जाएं। ट्रक ऑपरेटरों का कहना है कि इससे ईंधन का खर्च करीब 25 फीसदी बढ़ जाएगा और रखरखाव का खर्च भी 50 फीसदी बढ़ सकता है। कुछ मॉडलों में एसी केबिन लगाने के लिए मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) को ट्रक का पूरा ढांचा ही बदलना पड़ेगा। उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस कदम से ट्रक की कीमत 30,000 से 50,000 रुपये तक बढ़ सकती है। कुछ मॉडलों में एसी केबिन के लिए कंपनियों को इंजन की ताकत भी बढ़ानी पड़ सकती है।
इसके अलावा ट्रक ऑपरेटरों को वाहन के रखरखाव पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा और ईंधन की खपत बढ़ने से उनकी कुल लागत भी बढ़ जाएगी। इसका सीधा असर भाड़े पर पड़ेगा और माल ढुलाई महंगी हो जाएगी। कुल मिलाकर ट्रक ऑपरेटर इस निर्णय से खुश नहीं हैं। नामक्कल तालुक लॉरी ओनर्स एसोसिएशन के सचिव के अरुल ने कहा, ‘अगर सरकार ट्रक में एसी केबिन अनिवार्य करना चाहती है तो उसे हर ट्रक पर मुफ्त में सोलर पैनल लगाना होगा। सरकार के इस निर्णय से ईंधन का हमारा खर्च 25 फीसदी और रखरखाव का खर्च करीब 50 फीसदी बढ़ जाएगा।’
नामक्कल को दक्षिण भारत में परिवहन का अड्डा माना जाता है और 50,000 से ज्यादा ट्रक इस क्षेत्र से आते हैं। बकौल अरुल, ऑपरेटरों को डर है कि एसी केबिन ट्रक चालकों के लिए ‘रुकने और मनोरंजन करने के कमरे’ बन सकते हैं और ट्रक नहीं चलने पर भी उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा हुआ तो मालिकों का कुल खर्च बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय भी माइलेज कम होने से कारोबार में कोई फायदा नहीं रह गया है।
इस प्रस्ताव का नफा-नुकसान पूछने पर ट्रक चालक अलग ही बातें करने लगते हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जब तिरुवरूर के ट्रक चालक दुरई स्वामी से बात की तो 27 साल के दुरई ने कहा, ‘मैं महीने में बमुश्किल 20-25 हजार रुपये कमा पाता हूं। इतने से पैसों से ही मेरा घर चलता है और 11-12 घंटे ट्रक चलाने से मेरी सेहत भी बिगड़ रही है। सरकार को एसी केबिन लगाने के बजाय हमारा मेहनताना बढ़ाने के लिए कुछ करना चाहिए।’
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वाणिज्यिक वाहन बनाने वालों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि एसी-ट्रकों की मांग बढ़ रही है। ट्रक बनाने वाली एक कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनकी कंपनी की कुल ट्रक बिक्री में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी एसी मॉडल की ही है।
सरकार के कदम का स्वागत करते हुए वॉल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल्स (वीईसीवी) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विनोद अग्रवाल ने कहा, ‘एसी केबिन लगाने से वाहन की कीमत थोड़ी बढ़ सकती है, जो ट्रक के आकार के हिसाब से 30 से 50 हजार रुपये के बीच होनी चाहिए। कुछ मॉडलों खास तौर पर हल्के वाणिज्यिक वाहनों में ओएम को इंजन में बदलाव करना होगा और एसी केबिन के लिए इंजन की क्षमता भी बढ़ानी पड़ेगी।’
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टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा, ‘देश में तेजी से बढ़ रहे ट्रक परिचालन उद्योग में कुशल चालक लाने और उन्हें जोड़े रखने की चुनौती है। इस निर्णय से चालकों की सेहत और सुरक्षा बेहतर होगी क्योंकि लंबे समय तक भी ट्रक आराम से चलाया जा सकेगा।’ टाटा मोटर्स पहले से ही ट्रकों में एसी केबिन का विकल्प दे रही है और 2025 तक सभी ट्रकों को एसी युक्त बनाने का उसे पूरा भरोसा है।