संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान संसद के पटल पर 7 नए और 11 लंबित विधेयक चर्चा के लिए पेश किए जाएंगे। इसके अलावा, 15 दिन चलने वाले सत्र के दौरान पूरक अनुदान मांगों का पहला बैच पटल पर रखा जाएगा। सरकार ने सत्र से पहले शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
लोकसभा सचिवालय द्वारा अपनी वेबसाइट पर रखे गए सत्र के दौरान कामकाज के ब्योरे के अनुसार सरकार 2023-24 के लिए पूरक अनुदान मांगों का पहला बैच चर्चा और मतदान के लिए पेश करेगी। इसके अलावा, सरकार भोजन, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी), उर्वरक सब्सिडी और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के लिए अतिरिक्त धनराशि के लिए लोकसभा की मंजूरी भी मांग सकती है।
चर्चा के लिए सूचीबद्ध 7 नए विधेयकों में 7 अक्टूबर को हुई जीएसटी परिषद की 52वीं बैठक में दी गई सिफारिशों को शामिल करने के लिए केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना, जम्मू-कश्मीर और पुदुच्चेरी की विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए दो और विधेयक शामिल हैं।
जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित संविधान पूर्व का एक सदी पुराने बॉयलर एक्ट 1923 को फिर से लागू करने के लिए सरकार ने बॉयलर बिल-2023 भी सूचीबद्ध किया है। इसी तरह प्रोविजनल कलेक्शन ऑफ टैक्स बिल-1931 को फिर लागू करने के लिए प्रोविजनल कलेक्शन ऑफ टैक्स बिल-2023 भी पटल पर रखा जाएगा।
ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल 2023 को सूचीबद्ध नहीं किया गया है, क्योंकि सरकार ने इसके प्रस्ताव पर 10 नवंबर को प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। अपनी प्रतिक्रियाएं भेजने के लिए तमाम हितधारकों एवं आम लोगों को 30 दिन का समय दिया गया है।
इसके अलावा सूचीबद्ध 11 लंबित विधेयकों में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को फिर से तैयार करने का प्रस्तावित कानून शामिल है। सरकार ने अगस्त में मॉनसून सत्र के आखिरी दिन आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पेश की थी, जिसे लोकसभा ने संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट सदन को सौंप दी है।
विपक्ष विधेयकों के हिंदी नामों एवं अन्य विसंगतियों पर विरोध कर सकता है। पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में प्रस्तावित कानूनों पर आगे नहीं बढ़ने का अनुरोध किया था।
सरकार ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं कार्यकाल) बिल भी सूचीबद्ध किया है। इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश से इतर वाले पैनल द्वारा करने का प्रस्ताव है। यह बिल सरकार ने बीते मानसून सत्र में राज्यसभा में पेश किया था।