भारत

किसानों के साथ बातचीत जल्द शुरू करेगी केंद्र सरकार, क्या है पूरा प्लान

साल 2020 में किसानों के साथ हुई बाचतीत के विपरीत 2024 की बातचीत चंडीगढ़ में पंजाब सरकार की मध्यस्थता के तहत हुई थी।

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- February 09, 2025 | 10:53 PM IST

केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसान समूहों के साथ रुकी हुई बातचीत को जल्द शुरू करने जा रही है। अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को यह आश्वासन दिया गया है। वह पंजाब-हरियाणा सीमा पर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा इस संबंध में आश्वासन दिए जाने के बाद डल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता स्वीकार करने पर सहमति जताई। उन्हें बताया गया है कि केंद्र सरकार के साथ उनकी रुकी हुई बातचीत 14 फरवरी से दोबारा शुरू होगी।

वह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के दो उप-समूहों से जुड़े हैं, जिन्हें एसकेएम (अराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) कहा जाता है। एसकेएम में 100 से अधिक किसान समूह शामिल हैं। उसने निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर साल भर चलने वाले कृषि आंदोलन का नेतृत्व किया था। पिछले साल, संयुक्त किसान मोर्चा से अलग हुए इस गुट के साथ बातचीत उसी समय टूट गई थी जब उसके नेताओं ने केंद्र सरकार की उस पेशकश को ठुकरा दिया था कि पांच फसलों की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर की जाएगी बशर्ते किसान धान और गेहूं की खेती छोड़ दें।

किसानों ने अपनी मांगों के साथ एक बार फिर दिल्ली की ओर कूच करना शुरू कर दिया लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया। इसी वजह से पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर पुलिस के साथ झड़पें भी हुईं। हालांकि बाद में किसानों को दोबारा बातचीत की पेशकश की गई। बातचीत के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल सहित केंद्रीय मंत्रियों की एक टीम ने किया जबकि किसानों का नेतृत्व उनके प्रतिनिधियों ने किया। पंजाब सरकार के अधिकारी भी चर्चा में शामिल थे। 

साल 2020 में किसानों के साथ हुई बाचतीत के विपरीत 2024 की बातचीत चंडीगढ़ में पंजाब सरकार की मध्यस्थता के तहत हुई। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की चुनावी हार ने इस बातचीत में एक और आयाम जोड़ दिया है। आम आदमी पार्टी के भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार केंद्र से इस विवाद को सुलझाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत नए सिरे से शुरू करने का अनुरोध कर रही थी।

केंद्र का प्रस्ताव

केंद्र सरकार ने गतिरोध को खत्म करने की कोशिश के तहत फरवरी 2024 में अगले पांच वर्षों के दौरान मसूर, उड़द, अरहर (सभी दालें), मक्का और कपास की पूरी उपज को एमएसपी पर खरीदने का प्रस्ताव दिया था। पिछले साल किसानों के साथ बातचीत शुरू होने से कुछ महीने पहले ही गृह मंत्री अमित शाह ने ‘ई-समृद्धि’ नाम से एक राष्ट्रीय पोर्टल को लॉन्च किया था। इसके जरिये किसान अपनी तुअर की उपज को एमएसपी अथवा बाजार मूल्य पर बेच सकते थे। उस समय शाह ने कहा था कि इसी तरह की सुविधा कुछ अन्य फसलों के लिए भी दी जाएगी। ई-समृद्धि पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से दलहन की खरीद राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) द्वारा की जा रही है।

नेफेड और एनसीसीएफ दोनों केंद्रीय नोडल एजेंसियां हैं जो मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए सरकार की ओर से खरीद करती हैं। अगर कीमतें एमएसपी से नीचे चली जाती हैं तो ये दोनों एजेंसियां मूल्य समर्थन योजना के तहत भी खरीद करती हैं।

वास्तव में हालिया खरीफ बोआई सीजन में केंद्र सरकार ने अपनी एजेंसियों के जरिये किसानों से एमएसपी पर लगभग 14 लाख टन सोयाबीन की खरीद की है जो अब तक की सबसे अधिक खरीद है। यह खरीद ऐसे समय में की गई जब कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। कुछ खबरों में कहा गया है कि सरकार एक बार फिर पांच दालों के लिए निश्चित खरीद प्रस्ताव पर जोर देगी। इसके अलावा कृषि विपणन पर अपनी नई मसौदा नीति के बारे में किसानों और पंजाब सरकार को समझाने का भी प्रयास करेगी।

किसानों की मांग और बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2026-25 के बजट में अरहर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ ‘दालों में आत्मनिर्भरता मिशन’ नाम से एक नई पहल शुरू करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां (नेफेड और एनसीसीएफ) इन तीनों दालों की खरीद करेंगी। उन्होंने कहा कि अगले चार वर्षों के लिए इन एजेंसियों पर पंजीकरण के साथ अनुबंध करने वाले किसानों के लिए यह सुविधा उपलब्ध होगी। इस मिशन के तहत जलवायु के अनुकूल दलहन के बीजों के विकास और उनकी वाणिज्यिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के अलावा दालों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने, कटाई के बाद भंडारण एवं प्रबंधन में सुधार करने और किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाएगा।

सरकार ने इस मिशन के लिए 1,000 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की है। संयोग से पिछले साल प्रदर्शनकारी किसानों के साथ पहले दौर की बातचीत में तीनों केंद्रीय मंत्रियों द्वारा की गई पेशकश के जैसा ही मौजूदा बजट घोषणा है। सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए खाद्य सब्सिडी बिल को वित्त वर्ष 2025 के स्तर (करीब 2,03,420 करोड़ रुपये) पर बरकरार रखा है। यह वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान से 3.04 फीसदी अधिक है, लेकिन उसी वित्त वर्ष के बजट अनुमान से 0.9 फीसदी कम है। सरकार ने फिर संकेत दिया है कि वह किसानों से गेहूं और चावल की अपनी वार्षिक खरीद लगभग उसी स्तर पर बरकरार रखेगी।

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के लिए 6,941 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान से करीब 8 फीसदी अधिक है। पीएम-आशा में कई योजनाएं शामिल हैं। इसे बाजार में तिलहन या दालों की कीमत एमएसपी से नीचे गिरने पर हस्तक्षेप करने के लिए डिजाइन किया गया है।

First Published : February 9, 2025 | 10:30 PM IST