मानसून के तेजी पकड़ने के साथ उत्तर प्रदेश की नदियां उफान मारने लगी हैं और कई जिलों में बाढ़ का हर शुरू हो गया है। बीते तीन दिनों से हो रही बारिश के चलते वाराणसी में गंगा के सारे घाट डूब गए हैं और प्रयागराज में पानी लेटे हुए हनुमान मंदिर तक पहुंच गया है। पिछले 24 घंटे में प्रदेश में 14.6 मिलीमीटर पानी बरसा है जो सामान्य से 6.5 मिमी अधिक है। एक जून से अब तक उत्तर प्रदेश में सामान्य से 7 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है।
बीते 48 घंटे में बारिश, बिजली गिरने और डूबने से 17 लोगों की जान चली गयी है। बदायूं में कांवड़ भरते समय एक श्रद्धालु गंगा नदी में डूब गया है वहीं राजधानी लखनऊ में मजदूर की नाले में बह जाने से मौत हो गयी है। वाराणसी से लेकर गाजीपुर, मिर्जापुर और बलिया में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बलिया में गंगा खतरे के निशान से महज एक सेंटीमीटर नीचे रह गयी है। वाराणसी में मणिकर्णिका घाट ढूब जाने से गलियों में दाह संस्कार हो रहा है जबकि गंगा आरती अब घाट की जगह छतों पर की जा रही है। सारनाथ में बीती रात बिजली गिरने से थाई बौद्ध मंदिर में 80 फीट उंचाई पर लगी बुद्ध की प्रतिमा टूट गयी है।
बुंदेलखंड में केन और यमुना ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है। बांदा जिले के खतरे का निशान पार कर 40 गांवों में केन नदी का पानी घुस गया है। हमीरपुर में यमुना खतरे के निशान के करीब पहुंच गयी है। वहीं ललितपुर में गोविंदसागर बांध के 18 में से 17 गेट खोल दिए गए हैं। मौसम विभाग ने सोमवार के लिए 40 जिलों में बारिश का एलर्ट जारी किया किया था। उधर प्रदेश के तराई जिलों लखीमपुर, सीतापुर, बलरामपुर और श्रावस्ती में नेपाल से पानी छोड़े जाने के चलते राप्ती सहित कई छोटी नदियां उफना गयी हैं और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
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लगातार बारिश और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारी और नगर निकाय प्रमुखों को अपने क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की भौतिक समीक्षा करने एवं 24×7 नियंत्रण कक्षों के माध्यम से निरंतर निगरानी बनाए रखने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि जनसामान्य को मौसम, वर्षा और जलस्तर से जुड़ी अद्यतन जानकारी समय-समय पर दी जाए। इसके लिए स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया और आपदा प्रबंधन ऐप का उपयोग प्रभावी ढंग से किया जाए, ताकि लोग पहले से सतर्क और सावधान रह सकें। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि बाढ़ की आशंका वाले संवेदनशील इलाकों में पहले से ही पर्याप्त प्रबंध कर लिए जाएं। राहत और बचाव दलों को सतर्क रखा जाए और नाव, सर्च लाइट, जीवन रक्षक उपकरण, मेडिकल किट जैसी सभी आवश्यक सामग्रियां पूरी तत्परता के साथ तैयार रहें। तटवर्ती क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को सक्रिय मोड में रखा जाए।