Mahakumbh 2025: महाकुंभ में मकर संक्रांति को पहला अमृत स्नान माना जाता है। मंगलवार को साधु-सन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान से शोभा यात्रा निकालते हुए अमृत स्नान किया। श्रद्धालु अखाड़ों के अमृत स्नान को देखने और नागा, बैरागी साधु, संतों का आशीर्वाद पाने के लिये कतारबद्ध हो कर खड़े थे। हाथों में माले, भाले, तीर, तलवार, त्रिशूल लिए नागा साधुओं ने मंगलवार तड़के ही संगम में अमृत स्नान किया।
अमृत स्नान की शुरूआत महानिर्वाणी अखाड़े के स्नान के साथ हुई। इसके बाद पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार निरंजनी अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़े के साथ आवाह्न और पंच अग्नि अखाड़े के नागा साधुओं ने स्नान किया। इनके बाद क्रमशः श्री पंच निर्मोही, पंच दिगम्बर अनि और श्री पंच निर्वाणी अनि के बैरागी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। अमृत स्नान में अंतिम क्रम उदासीन अखाडा और निर्मल अखाड़े के साधु-संन्यासियों के स्नान का था। नागा, बैरागी और उदासीन संन्यासी लाव लश्कर के साथ अमृत स्नान करने पहुंचे। वहीं अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर अपने रथों पर सवार हो कर अमृत स्नान करने पहुचें।
महाकुंभ में पहले अमृत स्नान के दिन सभी अखाड़ों के साधु, संत सबसे आगे अपने-अपने अखाड़ों की धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। धर्म ध्वजा के पीछे अखाड़ों के नागा संन्यासी इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए, इष्ट देव के विग्रह लेकर बाजे-गाजे, ढोल, नगाड़े बजाते हुए त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ रहे थे। उनके पीछे पीछे अस्त्र, शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए नागा संन्यासी, आम जन को दुर्लभ दर्शन और आशीर्वाद दे रहे थे। उनके पीछे क्रम से अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आचार्य महामण्डलेश्वरों के रथ सज-धज कर चल रहे थे। सन्यासियों के स्नान के साथ ही करोड़ों की सख्यां में श्रद्धालुओं ने भी स्नान किया।
मकर संक्रातिं को महाकुंभ के पहले अमृत स्नान के संपन्न हो जाने बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का अभिनंदन करते हुए सभी संबंधित विभागों और संगठनों को धन्यवाद दिया। उन्होंने महाकुंभ को सनातन धर्म की अनुपम शक्ति और आस्था का प्रतीक बताते हुए कहा, कि प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आज 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य संतों और श्रद्धालुओं ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। इस मौके पर उन्होंने प्रदेशवासियों और श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएं दीं और आस्था के इस महायज्ञ के सुचारु रूप से चलने की कामना की।