बिज़नेस स्टैंडर्ड ‘समृद्धि’ कार्यक्रम में (बाएं से) सिनर्जी ग्रुप के चेयरमैन रजत मोहन पाठक, इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश, नाबार्ड, उत्तर प्रदेश के मुख्य महाप्रबंधक पंकज कुमार और सिडबी, लखनऊ के मुख्य महाप्रबंधक संजय गुप्ता। फोटो-बीएस
अगले 4-5 साल में 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कारोबारी सुगमता पर खास जोर दे रही है। इसके लिए कारोबारी मंजूरी की एकल खिड़की सुविधा चाकचौबंद की जा रही है और स्टार्टअप को बड़े उद्योगों से जोड़ा जा रहा है। सरकार के आला अधिकारी और उद्योग के शीर्ष प्रतिनिधि पिछले वर्ष हुए निवेश सम्मेलन में आए भारी निवेश प्रस्तावों को इसी का नतीजा बताते हैं।
लखनऊ में बुधवार को आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड ‘समृद्धि’ कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश: कारोबार में सुगमता विषय पर परिचर्चा के दौरान उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश ने कहा, ‘निवेश के प्रस्तावों को एक ही स्थान पर सभी मंजूरी दिलाने वाला हमारा पोर्टल ‘निवेश मित्र’ भारत में इस प्रकार का सबसे बड़ा मंच है। इसमें आने वाले 97.22 फीसदी आवेदनों को मंजूरी मिली है।’ उन्होंने कहा कि ऐसी सुगमता के कारण ही 2023 में प्रदेश में हुए निवेश सम्मेलन में 40 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं।
प्रकाश ने लॉजिस्टिक्स, कर्ज की उपलब्धता और परिवहन को कारोबार के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि सरकार ने इन सब पर बिंदुवार तरीके से काम किया है। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई की लागत को उद्योगों के विकास की राह में सबसे बड़ी चुनौती है। अगर सड़क के रास्ते ढुलाई में 1 रुपया खर्च होता है तो पानी के रास्ते केवल 16 पैसे लगते हैं। इसीलिए उत्तर प्रदेश ने बड़े कारगो जहाजों के लिए जलमार्ग तैयार किए हैं। साथ ही जलमार्ग प्राधिकरण का गठन भी किया गया है ताकि बड़ी और छोटी नदियों को आपस में जोड़कर उद्योगों के लिए ढुलाई की लागत बहुत कम की जा सके।
उन्होंने प्रदेश में नवाचार की धीमी रफ्तार पर चिंता जताई मगर यह भी बताया कि इसे तेज करने के लिए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है और तकनीक तक पहुंच बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों तथा आरऐंडडी केंद्रों के साथ उनका गठजोड़ कराया जा रहा है। इसके अलावा छोटी इकाइयों को पूंजी मुहैया कराई जा रही है और उनके माल को बड़ी इकाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
परिचर्चा के दौरान नाबार्ड के उत्तर प्रदेश मुख्य महाप्रबंधक पंकज कुमार ने कहा कि एमएसएमई का 90 फीसदी हिस्सा सूक्ष्म उद्यमों का है मगर आकार छोटा होने के कारण उन्हें कर्ज मिलने में दिक्कत आती है। इसके समाधान के लिए हम सूक्ष्म इकाइयों को एक साथ लाते हैं ताकि उनका आकार बढ़ जाए और बैंक उन्हें कर्ज दे सकें। नाबार्ड ने इसके लिए कृषि में 500 एफपीओ बनाए हैं, जिनमें 2 लाख छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि नाबार्ड ने पिछले एक साल में ऋण वितरण 70 फीसदी बढ़ा दिया है। इसमें भी एमएसएमई के लिए ऋण दोगुना हुआ है और कृषि ऋण में 40 फीसदी इजाफा हुआ है।
सिडबी, लखनऊ के मुख्य महाप्रबंधक संजय गुप्ता ने उद्योग के लिए कर्ज के मामले में फिनटेक कंपनियों की भूमिका का खास जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्ज लेने और देने के तरीके बहुत बदल रहे हैं। इस मामले में अब डिजिटल क्रांति आ गई है, जिसे फिनटेक रफ्तार दे रही हैं। कर्ज आसानी से मिल रहा है और बैंक भी एमएसएमई के अतीत को भूलकर
देख रहे हैं कि इकाइयां आगे जाकर कितना राजस्व कमा सकती हैं। इससे एमएसएमई के लिए पूंजी मिलना बेहद आसान हो गया है।
उन्होंने कहा कि सिडबी भी उद्योगों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए कई पहल चला रहा है। सिडबी एक्सप्रेस का जिक्र करते हुए गुप्ता ने कहा कि इसके जरिये नए ग्राहकों को 1 करोड़ रुपये तक के कर्ज को सैद्धांतिक मंजूरी मिल जाती है, जो घर बैठे ही जरूरी कागजात मुहैया कर 15 मिनट के भीतर हासिल की जा सकती है।
वाराणसी में सिनर्जी फैब्रिक्राफ्ट के चेयरमैन रजत मोहन पाठक ने प्रदेश में बदले माहौल की बानगी देते हुए कहा कि आज से 10 साल पहले अच्छे कारोबारी परिवार अपनी अगली पीढ़ियों को काम में नहीं लगा पा रहे थे क्योंकि नई पीढ़ी कारोबार में आने वाली परेशानियों और झंझटों को देखते हुए फंसा हुआ महसूस करती थी। मगर प्रदेश में पिछले कुछ समय में नीतिगत बदलाव के कारण कारोबारी सुगमता इतनी बढ़ गई है कि एमबीए और सीए जैसी डिग्री हासिल करने के बाद भी युवा इस कारोबार में दाखिल हो रहे हैं। उन्हें आसान पूंजी मिल रही है, जिसका फायदा उठाकर वे अपने ब्रांड भी बाजार में पेश कर रहे हैं।