तूत्तुक्कुडि को उसकी गौरवशाली विरासत के साथ दक्षिण भारत की समृद्ध व्यापारिक परंपराओं का कालातीत प्रमाण माना जाता है। यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही ताकतवर पांड्य, चोल, पुर्तगाली, डच और अंग्रेज शासकों का आर्थिक गौरव रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली वियतनाम की दिग्गज कंपनी विनफास्ट से लेकर सिंगापुर के सेम्बकॉर्प और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार देश के दूसरे स्पेसपोर्ट तक तमाम मेगा निवेश के साथ तूत्तुक्कुडि अगले कुछ वर्षों के दौरान 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश हासिल करने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को तूत्तुक्कुडि में एक हवाई अड्डे का उद्घाटन करने वाले हैं। इसके साथ ही तूत्तुक्कुडि तमिलनाडु में चेन्नई के बाद ऐसा दूसरा शहर बन जाएगा जहां उन्नत हवाई, सड़क, रेल और समुद्री कनेक्टिविटी होगी। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए राज्य सरकार की योजनाओं के
साथ-साथ बहुआयामी परिवहन इस शहर को एक प्रमुख वैश्विक निर्यात गंतव्य के रूप में इसके पुराने गौरव को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। चेन्नई से करीब 610 किलोमीटर दूर यह शहर वाहन, अक्षय ऊर्जा और अंतरिक्ष के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।
Also Read: कोयला, स्वच्छ वायु और भारत के उत्सर्जन मानकों पर एक स्वागत योग्य समाधान
तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों- दिण्डुक्कल, कन्याकुमारी, मदुरै, रामनाथपुरम, शिवगंगा, तेनी, तूत्तुक्कुडि, तिरुनेलवेलि और विरुदुनगर- में निवेश प्रवाह से ही वहां औद्योगिक तेजी का अंदाजा लगाया जा सकता है। मई 2021 में द्रमुक सरकार के कार्यभार संभालने के बाद पिछले 4 वर्षों के दौरान राज्य में कुल 7.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश में से करीब 2.2 लाख करोड़ रुपये इन जिलों में हुए। इससे 10 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुईं। तूत्तुक्कुडि में होने वाले प्रमुख निवेश में विनफास्ट का निवेश भी शामिल है। कंपनी 16,000 करोड़ रुपये के निवेश से अपना विनिर्माण कारखाना स्थापित कर रही है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन 31 जुलाई को करेंगे। कंपनी और राज्य सरकार इस क्षेत्र में एक ईवी परिवेश तैयार करने की योजना बना रहे हैं।
तूत्तुक्कुडि दक्षिण भारत में भारत की हरित हाइड्रोजन आकांक्षाओं को भी पंख देने के लिए तैयार है। यहां चार वैश्विक दिग्गजों से एक द्वारा अपना हाइड्रोजन केंद्र बनाए जाने की उम्मीद है। इनमें मलेशिया सरकार के स्वामित्व वाली तेल एवं गैस कंपनी पेट्रोनस के निवेश वाली एम्प्लस गैंगेज सोलर, सिंगापुर की सरकारी ऊर्जा कंपनी सेम्बकॉर्प इंडस्ट्रीज की ग्रीन इन्फ्रा रिन्यूएबल एनर्जी, गुरुग्राम की कंपनी एक्मे ग्रीन हाइड्रोजन ऐंड केमिकल्स और रीन्यू एनर्जी की सहायक इकाई रीन्यू ई-फ्यूल्स शामिल हैं। इनसे वीओ चिदंबरनार (वीओसी) बंदरगाह पर पहले चरण में 41,860 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। इसका पहला चरण 2028 तक चालू होने की संभावना है।
तूत्तुक्कुडि में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के सचिव के पोनवेंकटेश ने कहा, ‘निवेश के लिए तमाम वैश्विक दिग्गजों के कतार में खड़े होने के साथ ही इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। इससे एमएसएमई को भी मदद मिलेगी। तूत्तुक्कुडि का एक प्रमुख फायदा वहां भूमि की उपलब्धता है। इसके अलावा वहां सभी मौसम में चालू रहने वाला बंदरगाह और एक पूर्ण विकसित हवाई अड्डा भी है।’
उन्होंने कहा कि लीप ग्रीन एनर्जी ने 17,400 करोड़ रुपये के निवेश से तूत्तुक्कुडि में एक एकीकृत ग्रीन हाइड्रोजन पावर भंडारण संयंत्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है। यह देश भर में 3 ग्रीन हाइड्रोजन केंद्र स्थापित करने की केंद्र सरकार की योजना का हिस्सा है। इसके तहत पश्चिमी इलाके के लिए गुजरात के कांडला में दीनदयाल पोर्ट, पूर्वी क्षेत्र के लिए ओडिशा में पारादीप पोर्ट और दक्षिण के लिए तूत्तुक्कुडि शामिल हैं।
वीओसी पोर्ट ने 7,056 करोड़ रुपये की बाहरी बंदरगाह परियोजना भी तैयार की है। इसमें उद्योग जगत के वैश्विक दिग्गजों की दिलचस्पी दिख सकती है। इस परियोजना का उद्देश्य वीओसी पोर्ट को भारत के पूर्वी तट पर पहला ट्रांसशिपमेंट केंद्र बनाना है।
अंतरिक्ष क्षेत्र में इसरो तमिलनाडु के कुलशेखरपत्तनम में अपना दूसरा स्पेसपोर्ट स्थापित करने की योजना बना रहा है। इससे यह इलाका एक अंतरिक्ष केंद्र बन जाएगा जो छोटे उपग्रह प्रक्षेपण उद्योग को अपनी सेवाएं देगा। इसके अलावा एसआईपीसीओटी परिसर में एक नया फर्नीचर पार्क भी स्थापित होगा। इस क्षेत्र में बदलाव के लिए ये निवेश काफी महत्त्वपूर्ण माने जा रहे हैं क्योंकि मई 2018 में तूत्तुक्कुडि का स्टरलाइट कॉपर कारखाना बंद हो गया था।