कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय रेलवे की माल ढुलाई की मात्रा हर साल सुधर रही है, लेकिन नए उद्योग व वस्तुएं शामिल न होने की चुनौती बनी हुई है। इससे 2030 तक कुल माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा करने की राह में व्यवधान बना हुआ है।
इस मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रेल मंत्रालय ने 2023-24 के दौरान विविध वस्तुओं (शेष व अन्य वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत) की श्रेणी में शामिल 11.4 करोड़ टन माल की ढुलाई की है। यह इसके पहले के वित्त वर्ष की तुलना में 11.6 प्रतिशत कम है और सिर्फ जिंस की श्रेणी (खाद्यान्न को छोड़कर, जो बजट और खरीद से प्रभावित होता है) में पिछले साल की तुलना में कमी आई है।
यह ऐसे समय में हुआ है, जब रेलवे ने वित्त वर्ष 2021 से लगातार दो वर्षों तक विविध श्रेणी में शामिल वस्तुओं की ढुलाई में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि औद्योगिक उत्पादन और जीडीपी 8 प्रतिशत से ऊपर वृद्धि दर्ज कर रहा है, ऐसे में रेलवे को बाजार हिस्सेदारी गंवाने के बजाय गैर परंपरागत क्षेत्रों में ज्यादा आक्रामक रूप से काम करना चाहिए।
पूर्व मध्य रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने कहा, ‘हम नए क्षेत्र में पहुंचने में सक्षम नहीं हो पाए हैं। कंटेनर ट्रैफिक से आयात निर्यात से जुड़ी वस्तुओं की ढुलाई होती है, जिसमें घरेलू माल ढुलाई शामिल नहीं है। शेष व अन्य वस्तुओं की ढुलाई 11 प्रतिशत कम होने का मतलब यह है कि रेलवे घरेलू आपूर्ति श्रृंखला में सड़क से माल ढुलाई से अपनी बाजार हिस्सेदारी गंवा रहा है।’
कंज्यूमर सेग्मेंट जैसे ऑटोमोबाइल, ई कॉमर्स कॉर्गो और डेरी की ढुलाई इस सेग्मेंट में शामिल है और इसके लिए रेलवे ने ट्रक ऑन ट्रेन (टीओटी) जैसी कई विशेष योजनाएं शुरू कीं, जिससे इस बाजार में घुसा जा सके और रेलवे कच्चे माल की ढुलाई करने वाली छवि से बाहर निकल सके। त्रिवेदी ने कहा, ‘ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख क्षेत्रों में रेल मार्ग अभी भी क्षमता के बोझ से दबे हैं और इस मार्ग का क्षमता उपयोग 130 से 140 प्रतिशत है।’
एक और पूर्व रेल अधिकारी ने कहा, ‘ईएसजी अनुपालन बढऩे और कॉर्पोरेट द्वारा कार्बन उत्सर्जन की निगरानी के कारण रेलवे सेक्टर में दिलचस्पी इस समय सर्वोच्च स्तर पर है। लेकिन जब तक रेलवे, सड़क से ढुलाई करने वालों की तरह वैगनों की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कराती है और माल ढुलाई में देरी को न्यूनतम नहीं कर लेती है, तब तक उसकी हिस्सेदारी में गिरावट जारी रहेगी।’
रेलवे ने पिछले 4 साल में ट्रैक के विस्तार पर भारी भरकम निवेश किया है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा कि रेलवे ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 5,300 किलोमीटर नए ट्रैक बिछाए हैं।
एक अधिकारी ने कहा, 2022-23 के 5,241 किलोमीटर की तुलना में रेलवे ने रोजाना 14.5 किलोमीटर ट्रैक बिछाए हैं, जो अब तक रेलवे द्वारा किए गए काम का रिकॉर्ड स्तर है। पटरियों की क्षमता बढ़ाने के लिए मौजूदा मार्गों पर ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग कम लागत वाला समाधान है। 2023-24 के दौरान रेलवे ने 582 किलोमीटर रेल लाइनों का ऑटोमेटिक सिग्नलिंग किया है, जबकि 2022-23 में 530 किलोमीटर लाइन का ऑटोमेटिक सिग्नलिंग हुआ था।