केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा पारेषण पर नवीनतम राष्ट्रीय विद्युत योजना (एनईपी) में कहा गया है कि 2027 तक 277 गीगावॉट (जीडब्ल्यू) की अपेक्षित बिजली मांग को पूरा करने के लिए भारत को बिजली पारेषण संबंधी बुनियादी ढांचे में 4.25 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत है। सीईए, बिजली मंत्रालय की तकनीकी शाखा है।
एनईपी दो भागों, उत्पादन और पारेषण में तैयार की गई है। यह बिजली से जुड़े बुनियादी ढांचे की योजना को लेकर मार्गदर्शक रिपोर्ट है। पिछले साल एनईपी-उत्पादन ने एक दशक के लिए स्रोतवार बिजली उत्पादन और मांग की स्थिति के बारे में अनुमान पेश किया था।
बिजली उत्पादन क्षमता योजना और अनुमानित बिजली की मांग के आधार पर एनईपी-पारेषण में 2027-28 तक 1,14,687 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइनें और 7,76,330 एमवीए ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता (220 केवी और इससे अधिक वोल्टेज स्तर) बनाने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा इसमें कहा गया है कि 2022-27 के दौरान 1 गीगावॉट एचवीडीसी बाई-पोल क्षमता भी जोड़नी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2022-27 के दौरान देश में अतिरिक्त पारेषण व्यवस्था पर अनुमानित रूप से 4,25,222 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की जरूरत होगी। इसमें पारेषण लाइनें बिछाना, सब-स्टेशन बनाना, रिएक्टिव कंपेंसेशन आदि शामिल है।’ हाई वोल्टेज डायरेक्ट करेंट (एचवीडीसी) एक ऐसी तकनीक है, जिसके माध्यम से बड़ी मात्रा में बिजली लंबी दूरी तक पहुंचाई जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘क्षमता विस्तार की योजना के तहत पारेषण लाइनों और सबस्टेशनों में ट्रांसफॉर्मेशन क्षमता (220 केवी और इससे ऊपर वोल्टेज स्तर) क्रमशः 5,71,403 सर्किट किलोमीटर और 18,47,280 एमवीए होगा। बैक टु बैक क्षमता सहित एचवीसी बाईपोल क्षमता 34.5 गीगावॉट तक बढ़ेगी।’