Ram Mandir Inauguration: शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी के राम मंदिर के बयान ने एक नया मोड़ ले लिया है। 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पर बयान देते हुए कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी की तरफ से निमंत्रण न स्वीकारने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने बयान देते हुए कहा, ‘मैं राजनीति नहीं करना चाहूंगी पर एक ही सवाल उठ खड़ा होता है। देश में चार शंकराचार्य हैं और उन्होंने भी कहा है कि वे समारोह में हिस्सा नहीं लेंगे। क्या वे भी गलत हैं?…’
लेकिन इसके बाद चार मठों में से दो मठों के शंकराचार्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का सपोर्ट करने के लिए सामने आ गए। विश्व हिंदू परिषद् (VHP) के इंटरनैशनल वर्किंग प्रेसिडेंट आलोक कुमार ने प्रियंका चतुर्वेदी के बयान का खंडन किया और कहा, श्रृंगेरी और द्वारका के शंकराचार्य ने पब्लिक में आकर प्राण-प्रतिष्ठा समारोहा का स्वागत किया है। इसके अलावा पुरी के शंकराचार्य ने भी इस समारोह का सपोर्ट किया है।
यह भी पढ़ें: कांग्रेस हमेशा हिंदू धर्म के खिलाफ रही है: BJP
उन्होंने कहा, सभी ने कहा है कि वे उचित समय पर रामलला के दर्शन के लिए आएंगे। हालांकि आलोक कुमार ने जानकारी दी कि केवल ज्योतिर्पीठ शंकराचार्य इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं, बाकी तीनों मठों को शंकराचार्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पूरी तरह से साथ दे रहे हैं।
VHP प्रेसिडेंट ने आगे कहा, ‘हमने प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता को भी आमंत्रित किया। हमने भाजपा अध्यक्ष और अन्य दलों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया। अगर एक राजनीतिक दल भगवान राम के लिए काम करता है और पार्टियां विरोध करेंगी तो क्या कोई परिणाम नहीं होंगे?’ साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जिसकी इच्छा होगी वो आएगा।
गौरतलब है कि प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने बयान में कहा था, ‘भगवान श्रीराम हमारे आदर्श हैं, वो हमारे विचारों में हैं, हमारे दिलों में हैं.. श्री राम हमारे पथ प्रदर्शक हैं, हम उनकी पूजा करते हैं उनके नाम पर राजनीति नहीं।’
यह भी पढ़ें: Ram Temple Inauguration: प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे आडवाणी- VHP
शिवसेना नेता ने आगे कहा कि आज राम भगवान अयोध्या में आ रहे हैं तो सभी उनका स्वागत कर रहे हैं, लेकिन राम भगवान के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि राम मंदिर पर विपक्षी दल को आमंत्रण नकारते हुए कांग्रेस पार्टी ने बयान दिया था और कहा था कि भगवान राम की पूजा लाखों भारतीयों द्वारा की जाती है औऱ यह सभी का व्यक्तिगत मामला है। लेकिन RSS और भाजपा ने इसे राजनीतिक रूप दे दिया है।