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राष्ट्रीय आयुष्मान मिशन में कम हुआ बजट में आवंटित धन का इस्तेमाल

आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान में इस मिशन के लिए 1200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे

Last Updated- February 19, 2024 | 9:40 PM IST
नई सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में आयुष्मान भारत योजना, Ayushman Bharat, Schedule M on health ministry and DoP's top agenda

संसदीय समिति ने राष्ट्रीय आयुष्मान मिशन योजना के लिए आवंटित राशि और इसके इस्तेमाल में अंतर आने पर आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध व होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय को कदम उठाने की हिदायत दी है।

आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान में इस मिशन के लिए 1200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। लेकिन संशोधित अनुमान करीब 815 करोड़ रुपये हो गए थे और इसमें से भी जनवरी तक करीब 589 करोड़ रुपये यानी 74 प्रतिशत ही धन खर्च हो पाया।

इसी तरह वित्त वर्ष 22-23 के लिए करीब 800 करोड़ रुपये तय किए गए थे लेकिन इस वर्ष का संधोधित अनुमान घटकर 643.8 करोड़ रुपये हो गया था और इसमें से 549.15 करोड़ रुपये ही खर्च किया गया था। लिहाजा वित्त वर्ष 22-23 के संशोधित अनुमान का 85 प्रतिशत ही खर्च हो पाया था।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की संसदीय समिति ने राष्ट्रीय आयुष मिशन की समीक्षा रिपोर्ट में कहा, ‘बीते तीन वर्षों से कोष के अधिक इस्तेमाल का रुझान है लेकिन वास्तविक कोष का इस्तेमाल कम ही रहा।’ लिहाजा संसदीय समिति ने मंत्रालय से इस मुद्दे पर ध्यान देने का अनुरोध किया।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने मंत्रालय को कोष के कम इस्तेमाल का जवाब मांगा था लेकिन खबर छापे जाने तक जवाब नहीं मिला। हालांकि समिति ने इसका एक कारण यह भी गिनाया कि वार्षिक योजना के कई बड़े व्यय बजट में शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार, ‘मंत्रालय कोष की उपयोगिता और कोष की उपलब्धता के आधार पर वित्त वर्ष के खत्म होने के करीब किश्तों को जारी करता है।’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘राष्ट्रीय आयुष्मान योजना को लागू करने में प्रमुख रुकावट उपयोग की गई राशि के पूरे या ऑडिट किए दस्तावेज को जमा करना है।’ इस मिशन के तहत देश में आयुष अस्पताल, डिस्पेंसर, स्वास्थ्य व देखभाल केंद्र के लिए कोष मुहैया करवाया जाता है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च 2020 में वित्त वर्ष 24 तक आयुष सुविधाओं को 12,500 आयुष स्वास्थ्य व कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) के उन्नयन को मंजूरी दी थी। लेकिन अगस्त 2023 तक केवल 7,603 आय़ुष एचडब्ल्यूसी का ही संचालन हो पाया था। केवल पांच राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने मंजूर किए गए आयुष एचडब्ल्यूसी का 100 प्रतिशत उपयोग किया।

संसदीय समिति के जारी आंकड़े के अनुसार पंजाब ने एक भी आयुष केंद्र को संचालित नहीं किय़ा है। समिति ने इन केंद्रों की शीघ्र संचालित करने की जरूरत पर बल दिया। समिति ने कहा कि मंजूर किए गए आयुष एचडब्ल्यूसी में से केवल 65 प्रतिशत ही स्थापित हो पाए हैं। इसी तरह मंजूर एकीकृत अस्पतालों में से 69 प्रतिशत से अधिक निर्माणाधीन हैं या उनका निर्माण भी शुरू नहीं हो पाया है।

मानक डेटा संग्रह, सख्त जीएमपी ढांचे के साथ अन्य सिफारिशें

समिति ने आयुष एचडब्ल्यूसी के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकार्ड के मानकीकरण की वकालत की है। समिति ने कहा कि इससे शोध का रास्ता प्रशस्त होगा। समिति ने एकीकृत पारंपरिक और वैज्ञानिक दवाओं को एक जगह मुहैया कराने के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। समिति के अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायकि स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। इससे एक ही जगह पर आधुनिक और परंपरागत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाई जा सकेंगी और इससे आयुष सुविधाएं भी बेहतर होंगी।

समिति ने आयुष उत्पादों के निर्माण में बेहतरीन निर्माण के तरीकों (जीएमपी) और खेती के अच्छे तरीकों (जीएपी) को लागू करने की सिफारिश की। समिति ने कहा, ‘कई बार दवाओं में उच्च धातु सामग्रियों का मुद्दा उठाया जा चुका है और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है।’

समिति ने मंत्रालय को कहा कि वह आयुष दवाओं के प्रतिकूल असर के बारे में जानकारी देने का तरीका विकसित करने के लिए समुचित कदम उठाए। इससे स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों व उपभोक्ताओं इन प्रतिकूल असर के बारे में बता सकेंगे। रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय को आयुष दवाओं की सुरक्षा व प्रभाव की निगरानी करने के लिए नियमित निगरानी करनी चाहिए।

First Published - February 19, 2024 | 9:40 PM IST

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