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ममता बनर्जी और टाटा ग्रुप के अध्यक्ष एन. चंद्रशेखरन के बीच बैठक ने प्रदेश में जगा दी नए निवेश की उम्मीदें

चंद्रशेखरन के साथ हुई बैठक के बाद बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि मुख्यमंत्री और टाटा मु​खिया के बीच बातचीत पश्चिम बंगाल के विकास पर केंद्रित थी।

Last Updated- July 16, 2025 | 11:13 PM IST
N Chandrasekaran and Mamata Banerjee

कहते हैं कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। टाटा समूह के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन की मुस्कुराते हुए ऐसी ही एक तस्वीर भी बहुत कुछ कह रही है, जिसमें 9 जुलाई को बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन्हें राज्य सचिवालय नबान्न में पारंपरिक शॉल उत्तरीय भेंट कर रही हैं। मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ टाटा समूह के किसी अध्यक्ष की यह पहली औपचारिक मुलाकात थी। वर्ष 2011 में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ व्यापक आंदोलन के बाद ममता बनर्जी राज्य की सत्ता में आई थीं। इसी के साथ टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना को सिंगूर से नाटकीय रूप से बाहर निकलना पड़ा था। इसके बाद राज्य का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।

चंद्रशेखरन के साथ हुई बैठक के बाद बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि मुख्यमंत्री और टाटा मु​खिया के बीच बातचीत पश्चिम बंगाल के विकास पर केंद्रित थी। बैठक में नवाचार, निवेश और समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाले सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाया। पार्टी ने यह भी कहा कि बातचीत के दौरान राज्य में टाटा समूह के और अ​धिक विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया। देश के सबसे बड़े कारोबारी समूहों में से एक टाटा के साथ संबंधों के प्रति राज्य सरकार के नजरिये में संभावित बदलाव एक नए अध्याय की शुरुआत है। नए सिरे से उभरते संबंधों की तस्वीर कैसी होगी, यह अभी देखना बाकी है। लेकिन सरकार में एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘सबसे बड़ी बात यह है कि सिंगूर प्रकरण अब पीछे छूट चुका है। दोनों पक्ष नए सिरे से शुरुआत करने के लिए उत्सुक दिख रहे हैं।’ अधिकारी ने आगे कहा, ‘सरकार स्पष्ट और एकमात्र खुले व्यवसायिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।’

चंद्रशेखरन ने वादा निभाया

दोनों पक्षों के संबंधों पर जमी बर्फ पिछले कुछ महीनों से पिघली शुरू हो गई थी। मुख्यमंत्री बनर्जी ने चंद्रशेखरन को इसी साल फरवरी में आयोजित बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन किन्हीं वजहों से वह इसमें शामिल नहीं हो सके। समिट के उद्घाटन समारोह में बनर्जी ने कहा, ‘उन्होंने (चंद्रशेखरन) आश्वासन दिया है कि वे बंगाल में अधिक से अधिक निवेश करना चाहते हैं। वह बहुत जल्द बंगाल आएंगे और इस संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे।’

चंद्रशेखरन ने 9 जुलाई को नाबन्ना में उप​स्थित होकर अपना वादा निभाया। लगभग 45 मिनट तक चली इस बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत भी मौजूद थे।

उतार-चढ़ाव भरा अतीत

एक व्यावसायिक दिग्गज और मुख्यमंत्री के बीच नियमित बैठक के रूप में जो कुछ भी हो सकता था, यह उससे कहीं अधिक था। लगभग दो दशकों के इतिहास के साथ इसकी पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी। घटनाओं को क्रमवार देखें तो 2006 में वाम मोर्चा सरकार ने 1894 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम का इस्तेमाल कर टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना के लिए सिंगूर में 997 एकड़ जमीन दी थी। इसमें 13,000 किसानों की जमीन का अ​धिग्रहण किया गया, लेकिन इनमें से 2,000 ने मुआवजा लेने से मना कर दिया यानी अपनी जमीन देने से इनकार कर दिया।

इसके बाद ही उस समय विपक्ष में रहीं ममता बनर्जी ने किसानों को जमीन वापस करने के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया। यह आंदोलन व्यापक होता गया। अंतत: 3 अक्टूबर, 2008 को टाटा मोटर्स ने सिंगूर से अपने कदम पीछे खींच लिए। उस समय तक नैनो संयंत्र का काम लगभग 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका था। यहां से काम समेटने के बाद नैनो परियोजना गुजरात के साणंद में नए सिरे से आगे बढ़ी। उसी समय रतन टाटा ने कहा था- ‘मुझे भरोसा है कि एक बुरा एम होता है तो एक अच्छा भी होता है।’

उनकी यह टिप्पणी काफी चर्चित हुई थी। वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सिंगूर में नैनो परियोजना वाली जमीन संबं​धित किसानों को लौटा दी गई। रतन टाटा का पिछले साल अक्टूबर में निधन हो चुका है। पश्चिम बंगाल सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि नैनो जैसे कड़वे इतिहास के बावजूद टाटा समूह की अन्य कंपनियों के पश्चिम बंगाल में कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने न केवल काम करना जारी रखा, बल्कि अपना विस्तार भी किया है।

हमेशा कारोबार रहा लक्ष्य

शायद टाटा समूह में विकेंद्रीकरण का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि समूह के सिर का ताज और भारत के आईटी सेक्टर का पोस्टर बॉय कही जाने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने बंगाल में किस तरह अपना विस्तार किया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, टीसीएस राज्य में 54,000 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है। उसका सबसे बड़ा परिसर न्यू टाउन, कोलकाता में गीतांजलि पार्क है।

बंगाल सिलिकॉन वैली हब में 20 एकड़ में इसका एक और विशाल परिसर तैयार हो रहा है, जो एक तकनीकी केंद्र है। परिसर के लिए फेज-I भवन योजना को हाल ही में न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एनकेडीए) से मंजूरी मिली है। दूसरे चरण के पूरा होने पर परिसर में 24 लाख वर्ग फुट का निर्मित क्षेत्रफल होगा जहां 25,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। यह बात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद एक्स पर एक पोस्ट में कही।

टाटा स्टील का भी राज्य में व्यापक आधार है, जो डक्टाइल आयरन पाइप और बियरिंग, हुगली मेट कोक और बिष्णुपुर में स्टेनलेस स्टील प्लांट जैसे रणनीतिक व्यवसाय में जुटी है। इन संयंत्रों में 11,100 से अधिक लोग काम कर रहे हैं। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल टाटा स्टील के लिए एक रणनीतिक लॉजिस्टिक्स हब भी है, जो मल्टी-मॉडल शिपमेंट के लिए हल्दिया बंदरगाह से काम कर रहा है।

खड़गपुर में टाटा हिताची का संयंत्र एशिया की सबसे बड़ी निर्माण मशीनरी विनिर्माण कंपनियों में से एक है। यह संयंत्र भी राज्य में नैनो के साथ ही आया था। वर्ष 2019 में कंपनी जमशेदपुर की निर्माण इकाई का काम भी यहीं ले आई थी। रतन टाटा द्वारा 16 मई, 2011 को उद्घाटन किया गया टाटा मेडिकल सेंटर पूर्व और पूर्वोत्तर के कैंसर रोगियों के लिए बेहतरीन अस्पताल है।

First Published - July 16, 2025 | 11:03 PM IST

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