कोविड महामारी ने ज्यादातर कारोबारों को बुरी तरह हिला दिया मगर कन्नौज के मशहूर इत्र उद्योग के लिए यह आपदा में वरदान की तरह साबित हुआ। यहां इत्र का कारोबार महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित तो हुआ मगर उस दौरान नौकरियां जाने या घर के करीब रहने की हूक के कारण कन्नौज लौटे नौजवानों ने ई-कॉमर्स और दूसरी तकनीकों का सहारा लेकर इस कारोबार को नया विस्तार दिया है।
करीब 500 छोटे-बड़े इत्र कारखानों के कारण कन्नौज देश में इत्र का सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र है। इसमें पुश्तैनी कारोबारियों का दबदबा तो हमेशा से रहा है मगर आज ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के जरिये बिक्री करने वाले सैकड़ों युवाओं की फौज यहां खड़ी हो गई है। नई पीढ़ी के ये व्यापारी फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सऐप और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफार्मों के जरिये यहां के परफ्यूम, अगरबत्ती, धूपबत्ती, सुगंधित तेल और दूसरे उत्पाद बेच रहे हैं।
मलय मिश्रा युवा उद्यमी हैं, जिनका परिवार किंग्स ऐंड कंपनी के नाम से चार पीढ़ियों से कन्नौज में इत्र और सुगंधित तेलों का कारोबार कर रहा है। मलय बताते हैं कि शहर में इस समय कम से कम 300 से 400 युवा इत्र की बिक्री ऑनलाइन कर रहे हैं और इनकी तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है। वह कहते हैं, ‘ऑनलाइन बिक्री का चलन कन्नौज में तीन-चार साल से ही शुरू हुआ है मगर तेजी से रफ्तार पकड़ रहा है। अब तो काफी महिलाएं, युवतियां और छात्र तक ऑनलाइन इत्र बेच रहे हैं।’
यह बात अलग है कि कन्नौज में इत्र के कुल सालाना कारोबार में ऑनलाइन बिक्री की हिस्सेदारी कम है और इसे बढ़ने में समय लगेगा। लेकिन पुराने कारोबारियों का कहना है कि इसके जरिये नई पीढ़ी तो धंधे से जुड़ रही है वरना युवाओं का मोहभंग होने से एक समय इत्र कारोबार का भविष्य अधर में लग रहा था।
प्रागदत्त परफ्यूमर्स के नाम से कारोबार करने वाले प्रभु सैनी कहते हैं कि इत्र कारोबार में कई दशकों तक पुराने घराने ही सक्रिय रहे मगर युवाओं के आने से कुछ अच्छे बदलाव हुए हैं। मसलन इंटरनेट की वजह से कन्नौज के कारोबारी बाजार तक आसानी से पहुंच रहे हैं और नए बाजार भी उन्हें मिल रहे हैं। मगर ऑनलाइन बिक्री करने वालों को वह गुणवत्ता का ख्याल रखने की भी सलाह देते हैं ताकि कन्नौज का सदियों से मशहूर नाम खराब न हो जाए।
प्रभु बताते हैं कि कन्नौज में फूलों का ज्यादातर इत्र सदियों पुराने तरीके से ही बनाया जाता है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे 40-50 गांवों से ही फूल आते हैं। तकनीक बेशक विकसित हो गई है मगर 75 फीसदी लोग अब भी भट्ठियों में गोबर के उपलों की आंच पर प्राकृतिक सामग्री से इत्र तैयार करते हैं। कारोबारी कहते हैं कि प्राकृतिक तरीके से तैयार होने के कारण ही कन्नौज के इत्र की सबसे ज्यादा मांग है और ऑनलाइन ऑर्डर भी इसी तरह के इत्र के लिए ज्यादा मिलते हैं।
इत्र कारोबार को नई जान मिलती देख प्रशासन ने भी कमर कस ली है। कन्नौज के फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (एफएफडीसी) ने युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए पाठ्यक्रम शुरू कर दिए हैं। कन्नौज के जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने बताया कि जिले में इत्र पार्क की स्थापना हो रही है और यहां से गुजर रहे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के दोनों और औद्योगिक गलियारा भी बनने जा रहा है। इससे बड़ी तादाद में नए इत्र कारखाने खुलने की संभावना है। उनमें काम करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने का काम एफएफडीसी कर रहा है। यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद युवा अपना भी कारोबार शुरु करेंगे।
शुक्ल ने बताया कि इत्र पार्क में अभी तक 24 उद्यमियों को जमीन दे दी गई है और निकट भविष्य में वहां और भी कारखाने लगेंगे। उन्होंने कहा, ‘कन्नौज से फिलहाल इत्र और सुगंधित तेलों का करीब 700 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता है। हालांकि अभी यहां का ज्यादातर माल पान मसाले और तम्बाकू उद्योग में खप रहा है, लेकिन इत्र पार्क और औद्योगिक गलियारा आने के बाद दवा, कॉस्मेटिक्स और खाद्य उत्पादों में भी इसकी खपत होने लगेगी।’