सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को वक्फ कानून (Waqf law) पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है। इनमें वह प्रावधान भी शामिल है, जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे व्यक्ति ही वक्फ बना सकते हैं।
चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा, ”हमने हर प्रावधान की प्राथमिक दृष्टि से समीक्षा की और पाया कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता।” हालांकि, अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं।
इसके अलावा, अदालत ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जिसमें सरकार की तरफ से नियुक्त एक अधिकारी को यह अधिकार दिया गया था कि वह तय करे कि क्या वक्फ संपत्ति सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण कर रही है या नहीं।
चीफ जस्टिस ने कहा, ”हमने माना है कि किसी भी कानून की संवैधानिकता की एक पूर्वधारणा होती है। केवल बहुत ज्यादा दुर्लभ मामलों में ही इसे खारिज किया जा सकता है। याचिकाओं में पूरे अधिनियम को चुनौती दी गई थी, लेकिन मुख्य आपत्तियां सेक्शन 3(r), 3C, 14 आदि को लेकर थीं।”
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मुस्लिम होने चाहिए। हालांकि, उसने उस संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जो किसी गैर-मुस्लिम को सीईओ नियुक्त करने की अनुमति देता है। साथ हीअदालत ने यह भी कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती।
बता दें कि अदालत ने 22 मई को तीन प्रमुख मुद्दों पर आदेश सुरक्षित रखा था। इनमें अदालत की तरफ से वक्फ घोषित संपत्तियों को डी-नोटिफाई करने की शक्ति का विषय भी शामिल था। यह मुद्दे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आए थे।