सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 19 मार्च को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 के कार्यान्यवन (Implementation) के खिलाफ सुनवाई की और इसके तहत दी जा रही नागरिकता पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को 2 अप्रैल (3 हफ्ते के भीतर) तक अपना जवाब सौंपने का आदेश दिया है।
चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि सरकार 5 पेज में 2 अप्रैल तक अपना जवाब कोर्ट को दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता 8 अप्रैल तक 5 पेजों में ही अपना पक्ष रखें। मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 9 अप्रैल को होगी।
हालांकि केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच से कहा, ‘यह (CAA) किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता।’ उन्होंने इन याचिकाओं को लेकर चार सप्ताह का वक्त मांगा, लेकिन कोर्ट ने तीन हफ्ते का ही समय दिया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि उन्हें 20 याचिकाओं पर जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता की इस मांग का विरोध किया और सवाल किया कि CAA पारित होने के करीब 4 साल बाद इसे नोटिफाई करने की अचानक जरूरत क्यों पड़ गई।
गौरतलब है कि 11 मार्च को शाम 6 बजे के करीब गृह मंत्रालय की तरफ से CAA कानून को नोटिफाई कर दिया गया था। जिसके मुताबिक, नोटिफिकेशन जारी होने के बाद कुछ विशेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर पूरे देश में लागू हो गया था।
कपिल सिब्बल ने मेहता की चार सप्ताह की मांग का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि जवाब के लिए चार सप्ताह बहुत ज्यादा समय है… इन नियमों को चार साल बाद नोटिफाई किया गया है।
सिब्बल ने कहा कि 2020 से वे हर तीन महीने के बाद संसद में जा रहे हैं और अब नोटिफाई किया है। इसका मतलब यह है कि संसद में साल में हरक तीन महीने पर सत्र आयोजित होते हैं और यह प्रक्रिया 4 साल से चली आ रही है लेकिन कानून का नोटिफिकेशन सरकार की तरफ से अब क्यों जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि अगर अब नागरिकता दी जाती है तो ऐसी संभावना है कि इसे पलट नहीं सकते यानी एक बार नागरिकता दे दी गई तो इसे अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, छीनी नहीं जा सकती है। उन्होंने यह भी पूछा कि CAA पारित होने के लगभग चार साल बाद नियमों को नोटिफाई करने की अचानक क्या जरूरत आ गई।
CAA के खिलाफ दायर दलीलों में आग्रह किया गया है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निपटारा किए जाने तक संबंधित नियमों पर रोक लगाई जानी चाहिए।
संसद द्वारा विवादास्पद कानून पारित किए जाने के चार साल बाद केंद्र ने 11 मार्च, 2024 को संबंधित नियमों के नोटिफिकेशन के साथ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को पूरे देश में लागू कर दिया। इस कानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।