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सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए गठित की 10 सदस्यों की नेशनल टॉस्क फोर्स, इन विषयों पर सौंपनी होगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं, लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है।

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संकेत कौल   
Last Updated- August 20, 2024 | 10:32 PM IST

Kolkata Doctor Case: उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार को चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा तथा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करने के वास्ते 10 सदस्यीय कार्य बल गठित किया है।

इस पहल से कार्य स्थल पर डॉक्टरों और चिकित्सीय पेशेवरों की सुरक्षा के लिहाज से बहुत बड़े सुधारों की शुरुआत हो सकती है। डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की निष्पक्ष जांच तथा कार्य स्थल पर सुरक्षा की मांग को लेकर डॉक्टर पिछले सप्ताह से हड़ताल पर हैं। कार्यबल को तीन सप्ताह के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट सौंपनी होगी।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा और यौन हिंसा दोनों के विरुद्ध चिकित्सा प्रतिष्ठानों में संस्थागत सुरक्षा मानदंडों की कमी गंभीर चिंता का विषय है।

पीठ ने कहा कि हम राष्ट्रीय स्तर पर कार्यबल गठित कर रहे हैं, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टर शामिल होंगे। ये डॉक्टर सुरक्षा और कार्य करने के लिए नियम सुझाएंगे। पीठ ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए कानून हैं, लेकिन उनमें व्यवस्थागत मुद्दों का समाधान नहीं है।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कार्य बल के 10 सदस्यों में चिकित्सा सेवा (नौसेना) की महानिदेशक वाइस एडमिरल आरती सरीन, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नैशनल गैस्ट्रोलॉजी और एआईजी हॉस्पिटल्स के प्रबंध निदेशक डॉ. नागेश्वर रेड्डी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास, निमहांस, बेंगलूरु की डॉ. प्रतिमा मूर्ति, एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी तथा सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली के प्रबंध मंडल के सदस्य डॉ. सौमित्र रावत शामिल हैं।

इसके अन्य सदस्यों में पंडित बी डी शर्मा मेडिकल यूनिवर्सिटी, रोहतक की कुलपति प्रोफेसर अनिता सक्सेना, ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सापले और एम्स दिल्ली में न्यूरोलॉजी विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉ. पद्मा श्रीवास्तव शामिल हैं। केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यबल के पदेन सदस्य होंगे।

न्यायालय ने राष्ट्रीय कार्य बल (NTF) को दो शीर्षकों – चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ लैंगिक आधार पर हिंसा समेत हर प्रकार की हिंसा को रोकना और प्रशिक्षुओं, रेजीडेंट, वरिष्ठ रेजीडेंट, चिकित्सक, नर्स और सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिए काम की सम्मानजनक व सुरक्षित परिस्थितियों के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने के तहत एक कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।

पीठ ने कहा, ‘राष्ट्रीय कार्य बल ऊपर उल्लिखित कार्य-योजना के सभी पहलुओं और सदस्यों द्वारा उल्लेखित किए जाने वाले किसी भी अन्य पहलू पर सिफारिशें करने के लिए स्वतंत्र होगा। वे उचित होने पर अतिरिक्त सुझाव देने के लिए स्वतंत्र हैं।’न्यायालय ने कहा, ‘एनटीएफ अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर सिफारिशों को लागू किए जाने के लिए उचित समयसीमा का भी सुझाव देगा।’

पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एनटीएफ सदस्यों की यात्रा, ठहरने की व्यवस्था समेत सभी साजो-सामान संबंधी सहायता, सचिवीय सहायता तथा खर्च उठाएगा।

पीठ ने कहा, ‘सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों में अपने सचिवों के माध्यम से तथा केंद्र सरकार को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के सचिव के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी अस्पतालों से जानकारी एकत्र करनी होगी कि प्रत्येक अस्पताल और प्रत्येक विभाग में क्रमशः कितने सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं।’

न्यायालय ने कहा, ‘उन्हें यह भी पता करना होगा कि क्या चिकित्सा प्रतिष्ठानों के प्रवेश द्वार पर सामान और व्यक्ति की जांच की व्यवस्था है। अस्पताल में आराम करने/ड्यूटी रूम की कुल संख्या और प्रत्येक विभाग में इसकी संख्या की सटीक जानकारियां भी पता करनी होगी। आराम/ड्यूटी रूम में दी जाने वाली सुविधाओं पर भी जानकारी एकत्र करनी होगी।’

यह भी देखना होगा कि आपाताकालीन विभाग में अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत तो नहीं है। उसने कहा कि केंद्र सरकार इस आदेश के एक महीने के भीतर एक हलफनामे के साथ ये आंकड़ें जमा करे। अदालत ने कहा कि देश जमीनी स्तर पर वास्तविक बदलाव के लिए एक और बलात्कार या हत्या की घटना का इंतजार नहीं कर सकता।

पीठ ने चिकित्सकों से हड़ताल वापस लेने और काम पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि ‘कृपया हम पर विश्वास करें। चिकित्सकों के काम से दूर रहने से समाज के उन वर्गों पर असर पड़ता है, जिन्हें चिकित्सकीय देखभाल की जरूरत है।’अदालत ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की पीड़ित डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो मंगलवार को सभी सोशल मीडिया मंच से हटाने का आदेश दिया।

डॉक्टरों की सुरक्षा का निर्देश

उच्चतम न्यायालय द्वारा 10 सदस्यीय कार्यबल गठित करने के आदेश के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित एम्स समेत सभी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं।

आरजी कर में जारी रहेगी हड़ताल

हालांकि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर अपनी हड़ताल 22 अगस्त तक जारी रखेंगे। कॉलेज के एक डॉक्टर ने कहा कि पीडि़ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि इस घटना में एक से अधिक लोग संलिप्त हो सकते हैं। अभी केवल एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है, अन्य खुलेआम घूम रहे हैं। ऐसे में हम कैसे अपने सहयोगियों को काम पर लौटने को कह सकते हैं। आगामी 22 अगस्त को सीबीआई स्टेटस रिपोर्ट सौंपेगी। उस रिपोर्ट को देखने के बाद आगे की रणनीति पर फैसला किया जाएगा।

First Published : August 20, 2024 | 10:32 PM IST