केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) में राज्यों की व्यय जरूरतों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये दीर्घावधि ऋण मुहैया कराया था, जिसमें से राज्यों ने सिर्फ 82,000 करोड़ रुपये लिए हैं और बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक 18,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हो पाया है।
अधिकारियों ने कहा कि इसकी एक वजह यह है कि तमाम राज्यों की पूंजी केंद्रित, लंबी अवधि वाली परियोजाओं को लागू करने की क्षमता नहीं है, जैसा कि केंद्र सरकार करती है। बड़े राज्यों में पश्चिम बंगाल सबसे पीछे है और उत्तर प्रदेश पूरी राशि के उपयोग में सक्षम नहीं है। इनमें उत्तर पूर्व के राज्य भी शामिल हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान में हमने 1 लाख करोड़ रुपये में से 78,000 करोड़ रुपये जारी किए जाने का अनुमान लगाया था। 31 मार्च 2023 तक राज्यों ने 82,000 करोड़ रुपये लिए हैं।’ अधिकारी ने कहा, ‘कई राज्यों ने अपने पूंजीगत व्यय ऋण की राशि का पूरा इस्तेमाल नहीं किया है, जो उन्हें उपलब्ध थी। पश्चिम बंगाल ने सिर्फ 1 किस्त ली है।’
कई अन्य राज्य अपने आवंटन का इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं रहे हैं, लेकिन अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 24 में स्थिति बेहतर होगी।
केंद्र सरकार राज्यों के पूंजीगत व्यय की जरूरतों को पूरा करने के लिए 50 साल का ब्याज रहित ऋण मुहैया करा रही है। वित्त वर्ष 23 के लिए यह राशि 1 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 24 के लिए1.3 लाख करोड़ रुपये है। यह धनराशि केंद्र सरकार के अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य का हिस्सा है।
पिछले साल 1 लाख करोड़ रुपये में से 80,000 करोड़ रुपये ज्यादातर बगैर शर्त था। वहीं 20,000 करोड़ रुपये पीएम गतिशक्ति, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, शहरी क्षेत्र सुधार और डिजिटल इंडिया पहल के तहत फाइबर ऑप्टिक्स केबल बिछाने से जुड़े पूंजीगत व्यय के लिए था।
राज्यों को 80,000 करोड़ रुपये उसी फॉर्मूले से दिया गया है, जिसके तहत वे विभाजन वाले कर में हिस्सा पाते हैं। राज्यों को कर बंटवारा 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के मुताबिक होता है। इस तरह से ज्यादा धनराशि उत्तर प्रदेश (17.9 प्रतिशत) और उसके बाद बिहार (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (7.8 प्रतिशत) पश्चिम बंगाल (7.5 प्रतिशत), महाराष्ट्र (6.3 प्रतिशत) और राजस्थान (6 प्रतिशत) को मिला है। यह योजना राज्यों में बहुत लोकप्रिय रही है और ज्यादातर राज्यो ने अपने लिए निर्धारित पूरी राशि ली है। वित्त वर्ष 24 में केंद्र ने पूंजीगत समर्थन को लेकर शर्तें और बढ़ा दी हैं।