FDI policy of UP: उत्तर प्रदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिए लाई गई नई नीति के नतीजे सामने आने लगे हैं। नीति के तहत जहां प्रदेश सरकार ने महज तीन दिनों में पहली जपानी कंपनी को सब्सिडी देने का काम किया है। वहीं, अब दर्जन भर से ज्यादा कंपनियों ने प्रदेश में अपना उद्यम स्थापित करने में रुचि दिखाई है।
बीते दो महीनों में प्रदेश में आठ बड़ी विदेशी कंपनियों ने निवेश करने में रुचि दिखायी है। इनमें से ट्राफलगर स्क्वायर ने रक्षा क्षेत्र में निर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए पांच तो सौर ऊर्जा क्षेत्र की यूनिकॉर्न एनर्जी ने दो परियोजनाओं के लिए करार भी कर लिया है। टॉशन इंटरनेशनल, आस्टिन कंसल्टिंग समूह, इंडो यूरोपियन चैंबर ऑफ स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज, एबीसी क्लीनटेक, आरजी ग्रुप व कॉसेस समूह ने एफडीआई नीति आने के बाद प्रदेश में निवेश करने में अपनी रुचि दिखाई है।
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यूनिकॉर्न एनर्जी ने प्रदेश की राजधानी लखनऊ व जौनपुर में करीब 42,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए करार किया है। इन परियोजनाओं में 2,200 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। ट्राफलगर स्क्वायर ने अयोध्या में रक्षा उत्पाद बनाने की इकाई लगाने के लिए पांच अलग-अलग करार किए हैं। इन इकाइयों में करीब 75,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और 26,000 नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश देश भर में एफडीआई आकर्षित करने के मामले में 11वें स्थान पर है पर जल्दी ही इसके टॉप 10 प्रदेश में आने की उम्मीद है। अभी देश में होने वाले कुल एफडीआई में प्रदेश की महज 0.7 फीसदी की हिस्सेदारी है। हालांकि बीते चार सालों में प्रदेश में आने वाले एफडीआई में दोगुना वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश में 1,738 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था। वहीं, 2023 में नवंबर के महीने तक 3,372.27 करोड़ रुपये आ चुका है।
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अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 25 से 50 फीसदी तक बढ़ाना होगा जिसके लिए अधिक एफडीआई की जरूरत है। प्रदेश की नई एफडीआई नीति में 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक के पूंजी निवेश को कई तरह की रियायत दी गई हैं।
इसके तहत पूर्वांचल व बुंदेलखंड में निवेश पर 80 फीसदी और मध्यांचल या पश्चिमी हिस्से में इकाई लगाने पर जमीन की कीमत पर 75 फीसदी की सब्सिडी का प्रावधान है। राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) में 10 फीसदी की सालाना सीलिंग के साथ दस सालों तक सौ फीसदी प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है। स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस के साथ ही इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में भी सौ फीसदी की छूट नीति के तहत दी जा रही है।