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Puri Jagannath Temple: 46 साल बाद खुला पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, अंदर क्या मिला?

Puri Jagannath Temple: अधिकारियों के अनुसार, पूर्व ओडिशा हाईकोर्ट के जज बिश्वनाथ रथ सहित 11 लोगों की मौजूदगी में रविवार दोपहर 1.28 बजे भंडार को खोला गया था।

Last Updated- July 15, 2024 | 6:25 PM IST
Puri Jagannath Temple

चार दशक से भी ज्यादा समय बाद रविवार को ओडिशा के पुरी में स्थित हिंदू मंदिर श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को फिर से खोल दिया गया। रत्न भंडार इस 12वीं सदी के मंदिर का खजाना है और हाल ही में संपन्न ओडिशा विधानसभा चुनावों के बाद से काफी चर्चा में रहा है। अधिकारियों के अनुसार, पूर्व ओडिशा हाईकोर्ट के जज बिश्वनाथ रथ सहित 11 लोगों की मौजूदगी में रविवार दोपहर 1.28 बजे भंडार को खोला गया था। अधिकारी शाम करीब 5.20 बजे भंडार से बाहर निकले।

रत्न भंडार के अंदर अधिकारियों ने क्या किया?

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पधी ने बताया कि सबसे पहले सदस्यों ने भंडार के बाहरी कक्ष को खोला। अंदर उन्हें आभूषण और कीमती वस्तुएं मिलीं, जिन्हें बाद में एक अस्थाई स्ट्रांग रूम में ले जाया गया। उन्होंने बताया कि इस कमरे को अब सील कर दिया गया है।

फिर, अधिकारी खजाने के भीतरी कक्ष में गए जहां उन्हें तीन ताले मिले। पधी के अनुसार, अधिकारियों के पास मौजूद चाबियों से उन तीनों तालों में से कोई भी नहीं खोला जा सका।

उन्होंने कहा, “इसलिए, हमने SOP के अनुसार, एक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीनों तालों को तोड़ दिया और फिर, हमने भीतरी कक्ष में प्रवेश किया।” उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों ने कक्ष और अंदर रखे गए आलमारी और संदूक में रखी कीमती वस्तुओं का निरीक्षण किया।

हालांकि, अधिकारी इन कीमती वस्तुओं को अभी तुरंत नहीं शिफ्ट करेंगे और इन्हें ले जाने के लिए एक तारीख निर्धारित की जाएगी। इसके अलावा अंदर की चीजों की लिस्ट बनाने और रत्न भंडार की मरम्मत का काम भी अधिकारी करेंगे।

ओडिशा विधानसभा चुनावों में रत्न भंडार का महत्व

रत्न भंडार को मंदिर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस भंडार की असली चाबियां कथित तौर पर गुम हो गई हैं। यह मुद्दा पिछले नवीन पटनायक सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा था। इसी मुद्दे की बदौलत 10 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी सत्ता में आई।

सबसे पहले 2018 में यह खबर सामने आई थी कि भंडार की चाबियां गुम हो गई हैं। दरअसल, ओडिशा हाईकोर्ट ने भंडार की संरचना की जांच करने का आदेश दिया था, उसके बाद ही यह पता चला। इसके बाद, पटनायक सरकार ने इस मामले की जांच शुरू की। हालांकि, इस जांच के कुछ दिनों बाद ही विवाद और बढ़ गया, क्योंकि चाबियों का एक सेट रहस्यमय तरीके से पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर अरविंद अग्रवाल के कार्यालय में मिल गया।

अग्रवाल ने तब मीडिया को बताया था कि उन्हें अपने रिकॉर्ड रूम में एक लिफाफा मिला था, जिस पर “आंतरिक रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां” लिखा हुआ था। पिछले महीने के चुनावों के दौरान, बीजेपी ने खजाने का दरवाजा फिर से खोलने और पटनायक सरकार की इस मुद्दे पर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का वादा किया था।

First Published - July 15, 2024 | 6:25 PM IST

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