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रेलवे का सफर हर किसी के लिए एक यादगार अनुभव होता है। एसी कोच में चादर, तकिया और तौलिया जैसी सुविधाएं यात्रियों की यात्रा को आरामदायक बनाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई लोग ट्रेन में दी जाने वाली इन सुविधाओं को अपना समझकर घर ले जाते हैं? ऐसा करना न केवल गलत है, बल्कि रेलवे के नियमों का उल्लंघन भी है।
रेलवे का कहना है कि ट्रेन में उपलब्ध कराई जाने वाली ये चीज़ें सिर्फ सफर के दौरान इस्तेमाल के लिए होती हैं, ना कि इन्हें अपने निजी उपयोग के लिए घर ले जाया जाए।
अगर आप भी ऐसी गलती करते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दीजिए, क्योंकि ऐसा करना रेलवे के नियमों का उल्लंघन है। नियमों के अनुसार, ट्रेन से सामान उठाने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अगर सफर के बाद ये सामान गायब हो जाए, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? आइए जानते हैं रेलवे के नियम और इस मामले में उठने वाले सवालों का जवाब।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर किसी यात्री को ट्रेन से चादर या कंबल ले जाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे GRP के हवाले कर दिया जाता है और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि कई बार यात्रियों को चादर या तकिया समय पर नहीं मिलता, जिसकी शिकायत वे अटेंडेंट से करते हैं। ऐसे में यात्रियों की यह जिम्मेदारी होती है कि यात्रा पूरी होने पर उपयोग किए गए चादर और तकिए को अटेंडेंट को लौटा दें।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर किसी सीट से चादर या तकिया गायब मिलता है, तो उसी सीट के यात्री के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल होता है कि चादर या तकिया आखिर किसने ले लिया। यही कारण है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई के मामले कम ही देखने को मिलते हैं।
अगर आप ट्रेन में सफर के दौरान चादर, तकिया या कोई भी रेलवे का सामान चुराते या अपने साथ ले जाते हुए पकड़े जाते हैं, तो आपको भारी सजा का सामना करना पड़ सकता है। रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट, 1966 के तहत ऐसे अपराध के लिए पहली बार पकड़े जाने पर 1 साल तक की जेल या 1000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अगर मामला गंभीर हो, तो सजा 5 साल तक की जेल या भारी जुर्माना, या दोनों का भी प्रावधान है। इसलिए, अगर आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं, तो रेलवे के सामान को सुरक्षित और सही जगह पर छोड़ने में ही समझदारी है।